भारतीय संस्कृति (Indian culture )
ना सिर्फ हमारे देश में अपितु अनेको देशो में हमारी संस्कृति को सराहा जाता हैं । भारतीय संस्कृति की शुरुआत इतिहास में बहुत पहले से ही विद्धमान हैं, परन्तु जिस तरह से आधुनिक युग में इसका उद्भव – विकाश हुआ है यह सराहनिये हैं । हमारा देश संस्कृति ,एकता , व अखंडता के लिए पूरे में विश्व विख्यात हैं , हमें फर्क होता हैं कि यह हमारा जन्म स्थल हैं। अंग्रेजो के जमाने में भी हम इसी संस्कृति और दया के शिकार हुए थें अर्थात अंग्रेज हमारे यहां मेहमान बन कर आये और हमनें उन्हे आदर पूर्वक अपना मेंहमान माना व खूब मेंहमान नवाजी किया अतः मेहमान को भगवान मानने वाली प्रिक्रिया दिखाई । अंग्रेजो ने इसी का फायदा उठाया , परिणाम स्वरुप भारत जैसे शक्तिशाली देश को 150 वर्षो तक अपना गुलाम रखा । परन्तु जोश और लगन की कमी हममे नही थी हम हार मानने वालो में से नही थें । सराहनापूर्वक अंग्रेजो को हमने खदेंड कर ही दम लिया ,और भारत को पुनः आजाद बनाया । परन्तु इस से ना तो हमारी संस्कृति भंग हुई और ना ही हमारा स्वाभिमान लेकिन हम पहले से सचेत जरुर हो गये । आज हमारा देश –एकता और अखंडता के लिहाज से पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखता हैं । हम गौरव और अभिमान से कहते हैं की हम भारतीय हैं ,परन्तु एक चेहरा हमारा और भी हैं, जो अब हमारी संस्कृति को तार-तार करने पर लगा हैं । अतः हमारे अन्दर का दोश क्लेश हमारी संस्कृति को नुकसान पहुंचा रहा है हमें जरुरत हैं, एकता और अखंडता की जिसकी कमी कही न कही बढ़ती जा रही हैं । हमारे पास जो हैं हम उसमें संतुष्ट नही रहना चाहते , संतुष्टी तो हमे तब प्राप्त होती हैं, जब दूसरो को नुकसान पहुचाते हैं । अतः अपनी संस्कृति को हम अपने हाथो धरा-साह कर रहे है । हम अपने अतीथ् को भूल रहे है, कोई याद कराने वाला भी नही हैं ,। हां मैं विकाश के लिहाजे यह मान सकता हूं कि हमारा देश उनन्ति कर रहा हैं ,विकाश हर देश के लिए महत्वपूर्ण होता हैं । परन्तु हमें अपनी संसकृति को नही भूलना चाहिए, आज जिस तरह से भ्रष्टाचार और लूट –घसोट बढ़ रहा हैं , कही यह भारतीय संस्कृति को न ले डूबें ।
पं आशीष कुमार शुक्ला
ना सिर्फ हमारे देश में अपितु अनेको देशो में हमारी संस्कृति को सराहा जाता हैं । भारतीय संस्कृति की शुरुआत इतिहास में बहुत पहले से ही विद्धमान हैं, परन्तु जिस तरह से आधुनिक युग में इसका उद्भव – विकाश हुआ है यह सराहनिये हैं । हमारा देश संस्कृति ,एकता , व अखंडता के लिए पूरे में विश्व विख्यात हैं , हमें फर्क होता हैं कि यह हमारा जन्म स्थल हैं। अंग्रेजो के जमाने में भी हम इसी संस्कृति और दया के शिकार हुए थें अर्थात अंग्रेज हमारे यहां मेहमान बन कर आये और हमनें उन्हे आदर पूर्वक अपना मेंहमान माना व खूब मेंहमान नवाजी किया अतः मेहमान को भगवान मानने वाली प्रिक्रिया दिखाई । अंग्रेजो ने इसी का फायदा उठाया , परिणाम स्वरुप भारत जैसे शक्तिशाली देश को 150 वर्षो तक अपना गुलाम रखा । परन्तु जोश और लगन की कमी हममे नही थी हम हार मानने वालो में से नही थें । सराहनापूर्वक अंग्रेजो को हमने खदेंड कर ही दम लिया ,और भारत को पुनः आजाद बनाया । परन्तु इस से ना तो हमारी संस्कृति भंग हुई और ना ही हमारा स्वाभिमान लेकिन हम पहले से सचेत जरुर हो गये । आज हमारा देश –एकता और अखंडता के लिहाज से पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखता हैं । हम गौरव और अभिमान से कहते हैं की हम भारतीय हैं ,परन्तु एक चेहरा हमारा और भी हैं, जो अब हमारी संस्कृति को तार-तार करने पर लगा हैं । अतः हमारे अन्दर का दोश क्लेश हमारी संस्कृति को नुकसान पहुंचा रहा है हमें जरुरत हैं, एकता और अखंडता की जिसकी कमी कही न कही बढ़ती जा रही हैं । हमारे पास जो हैं हम उसमें संतुष्ट नही रहना चाहते , संतुष्टी तो हमे तब प्राप्त होती हैं, जब दूसरो को नुकसान पहुचाते हैं । अतः अपनी संस्कृति को हम अपने हाथो धरा-साह कर रहे है । हम अपने अतीथ् को भूल रहे है, कोई याद कराने वाला भी नही हैं ,। हां मैं विकाश के लिहाजे यह मान सकता हूं कि हमारा देश उनन्ति कर रहा हैं ,विकाश हर देश के लिए महत्वपूर्ण होता हैं । परन्तु हमें अपनी संसकृति को नही भूलना चाहिए, आज जिस तरह से भ्रष्टाचार और लूट –घसोट बढ़ रहा हैं , कही यह भारतीय संस्कृति को न ले डूबें ।
पं आशीष कुमार शुक्ला