Jan 7, 2016

       देशी अंदाज में लिखना मेरा शौक है। 

लेखक एैसे भी हैं जो टीआरपी का मुंह नहीं देखते बल्कि टीआरपी को अपना गुलाम बना लेते हैं।

यूं तो बहुत सारे दिग्गज लेखक हमारे बीच मौंजूद हैं, और अपनी लेखनी से लोगों का मनोरंजन करवा रहे हैं। परन्तु फोन पर कहानियां लिखकर इतिहास बना देने वालेशायद एक ही हैं। समय समय पर अपनी एक्टिंग और म्युजिक डायरेक्टिंग के जरिए लोगों के दिलों पर राज करने वाले अपने देशी डायलॉगों और लेखनी से यस बॉस, येचंदा कानून है, हेरा फेरी, दो और दो पांच, जे.जे जासूस, आर के लक्ष्मण की दुनिया, ये इश्क है, लगे रहो चाचू, भाभी जी घर पर हैं, साहब बीबी और बॉस जैसे हिटसीरियल दे चुके और आगे से राइट, तेरा मेरा टेढ़ा फिल्मों में शानदार किरदार निभा चुके (लेखक, एक्टर, म्युजिक डायरेक्टर) मनोज संतोषी से युवा पत्रकार आशीषशुक्ला से बात चीत के प्रमुख अंश..
1.
आप अपने बारे में कुछ बताइये?
मैं बहुत साधारण परिवार से हूं, बचपन में ही मां बाप का साया सर से उठ गया। मैंने अपनी शिक्षा- दीक्षा होम टाउन अलीगढ से पूरी की। घर की जिम्मेदारियां बड़े भाईऔर मुझ पर थी। मेरे बड़े भाई पहले से मुंबई में रहते थे उन्होंने मुझे भी कमाने की मकसद से मुंबई बुला लिया। वहां पर मुझे एक  काम पर लगा दिया गया। इसके बाददाल रोटी के लिए संघर्ष करने लगा। मां बाप के स्वर्गवास के बाद मैं अभी भी अकेला हूं, सिर्फ मेरे साथ मेरी कलम है, और मेरे कुछ अच्छे दोस्तों का साथ है।  
2. 
मुंबई आते वक्त आपके जहन में क्या था?
मुंबई आते वक्त मेरे कई सपने भी मेरे साथ आये। मेरे अंदर सपनों को पूरा करने का विश्वास था। मैं बचपन से ही फिल्मों और टेलीवीजन पर आने वाले सीरियलों काशौकीन रहा हूं। आज भी मुझे फिल्मों का बहुत शौक है, व्यस्त होने के बावजूद भी फिल्मों को देखने जाता हूं। इसके अलावा स्कूल के दिनों में होने वाले प्रोग्रामों मे भी भाग लिया करता था। मुंबई आते समय मेरे जहन में सिंगिग को लेकर बहुत सवाल खड़े हो रहे थे। मैं सिंगर तो बनना चाहता था पर इसका जिक्र नहीं कर सकता था। 
3.
ऐसा क्या हुआ कि आप लेखक बन गये, जबकि आप सिंगर बनना चाहते थे? 
जब मैं मुंबई आया तो बड़े भाई ने काम पर लगा दिया लेकिन मुझे उस काम में मजा नहीं आ रहा था। भाई के दबाव और डर के कारण मेरे पास काम करने के अलावाकोई चारा नहीं था। कुछ दिन मैं ऐसे ही काम करता रहा फिर एक दिन मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया कि एक लेखक हैं, अशोक पाटोले जी जिन्हे एक ऐसे लड़के कीतलाश है जो उनकी लिखी कॉपी को फेयर कर सके। उन दिनों वह "हसरते" और श्रीमान धारावाहिक लिख रहे थे। फिर क्या था मैं पाटोले साहब से मिला उन्होंने मुझे कामपर रख लिया।  उस दौरान महींने में वे आठ स्क्रिप्ट लिखते थे जिन्हें मुझे फेयर करना होता था। एक स्क्रिप्ट फेयरिंग के लिए मुझे सौ रुपये मिलते थे। फिर उनके साथ काफी दिनों तक लगातार लगकर काम करता रहा। 
4.
आपके लिखने का सिलसिला कब शुरू हुआ? 
पाटोले साहब से जुड़कर मैंने काफी कुछ सीखा। उनके साथ रहते-रहते कब लिखने का शौक आ गया पता नहीं चला। इसके बाद मैं लगातार नौं सालों तक लिखता रहा। मेरे लिखे कई शो को लोगों ने अंदेखा किया पर मैं लिखता ही गया। अाखिर वह दिन भी आया जब “यस बॉस” सीरियल पर सबकी हांही हुई और यह सीरियल चल पड़ाइसके लिए मैंने 800 एपिसोड लिखे। इसके अलावा कई अन्य प्रोग्रामों के लिए कई एपिसोड लिखता रहा। 
5.
कलम छोड़ आप मोबाइल पर लिखते हैं क्या वजह है?
आपने वाकई मजेदार सवाल किया है, पहले मैं कलम से ही लिखता था।  लेकिन मोबाइल पर लिखने की आदत बहुत पहले से ही थी। मुझे याद है वह आशिकी के दिन थेजब मैं रात-रात भर अपनी प्रेमिका को मैसेजस् किया करता था। जिसके बाद से मुझे फोन पर लिखने की आदत पड़ गई। और यह आदत मेरे बहुत काम आ रही है। आजमैं काफी एपिसोड बड़ी ही आसानी से और कम समय में इसके जरिए लिख लेता हूं।
6.
आपके लिखे डायलॉगों को बहुत पसंद किया जा रहा है, कहां से लाते हैं इतने देशी डायलॉग। 
पहले तो मैं उन सभी चाहने वालों को धन्यवाद करूगां जो मेरे डायलॉग को इतना पसंद करते हैं। रही बात उपज की तो यह मुझे विरासत में मिली है। जितने डायलॉग मैंलिखता हूं वह जमीनी होते हैं और पुराने समय में उनका बहुत इस्तेमाल किया जाता था। पर अब वह लुप्त हो रहे थे जिन्हें मैने फिर से एक नए सांचे में ढालकर लोगों के जुबान पर रख दिया है। मैं अपने डायलॉगों में गांव की शुद्ध भाषा का तड़का मारता हूं इससे इसका टेस्ट बढ़ जाता है और लोग खूब प्यार देते हैं।  
7.
भाभी जी घर पर हैं सीरियल कई दिनों से चर्चा में है, इसपर आप क्या कहना चाहेंगे?
भाभी जी घर पर हैं सीरियल से मुझे एक नई पहचान मिली है। यह एेसा सीरियल है जिसे र्दशकों ने अब तक मेरे लिखे सीरियलों में सबसे ज्यादा पसंद किया है। जब मैंनेइसके लेखन की शुरूआत की थी तो मैंने भी नहीं सोचा था कि लोग इसे इतना पसंद करेंगे। लेकिन मेरे लेखन मात्र से यह सीरियल हिट नहीं हुआ है, इसके डायरेक्टरसशांक बाली जी और इसमें अपना किरदार निभा रहे हमारे टीम के, रोहिताश गौड़, (मनमोहन तिवारी), आसिफ शेख (विभूति नरायण मिश्रा), योगेश त्रिपाठी (हप्पू सिंह),सआनंद (सक्सेना जी), शिल्पा शिंदे (अंगूरी), सौम्या टंड़न (अनीता) और हमारी पूरी टीम की मेहनत से यह इतना लोकप्रिय सीरियल बन पाया है।
8.
अपने जीवन उपलब्धियों के बारे में बताये?
मैं एक बेहद साधारण इंसान हूं, जमीन पर सोता हूं। मैंने कोई बहुत बड़ी उपलब्धि नहीं हासिल की है। मुझे जो कुछ मिला है दर्शकों ने दिया है, मुझे चाहने वालों ने दिया है। इसके अलावा “यस बॉस”, और “भाभी जी घर पर हैं” सीरियल के लिए “इंडियन टेलीफिल्म अवॉर्ड” से मुझे सम्मानित किया गया है। परन्तु मेरे लिए धरोहर के तौर पर मेरे चाहने वाले हैं। 
BY ASHISH KUMAR SHUKLA NBT