कड़वा पर सच है
सफेद पानी का गोरख धंधा
पानी, पानी, पानी चारो तरफ बस इसकी चर्चा है। हमारी पृथ्वी पानी से खाली हो गयी क्या? यह फिर सरकारी लाइसेंस पर धड़ल्ले से चल रही पानी की तमाम कंपनियो ने सारा पानी बोतल में बंद कर लिया है, जो पानी की इतनी किल्लत आन पड़ी है। सोचिए भाई आखिर क्यों देश के तमाम जिलों मे पानी की इतनी किल्लत आन पड़ी। सोचिए न महाराष्ट्र का लातूर जिला और उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड जिला क्यो प्यास से व्याकुल हो रहा है। देश की तकरीबन आधी आबादी पानी के लिए क्यो मारी- मारी फिरने लगी है। चलिए हमी बताते हैं कि, इसके पीछे क्या कारण है। जनाब चंद रूपयों की आमदनी के लिए देश-विदेश के पानी कंपनियों को सरकार खूब लाइसेंस दे रही है जो पानी को बड़ी-बड़ी मशीनों से खीचकर बाहर निकालते हैं। सवाल यह भी है कि, आज आखिर पानी की इनती मरा-मारी के बीच भी यह कंपनियां लोगों की प्यास बुझाने में कैसे सफल हो रही हैं? यह कितना पानी निकाल रही हैं धरती से? यह बात अपन के समझ से परे है।
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आज शहर से लेकर गांव तक तमाम प्राइवेट पानी कंपनियों का वर्चस्व है। छोटे-छोटे गावों, कसबों मे अब बोतल बंद पानी मिलने लगा है। आपको जानकर थोड़ी हैरानी जरूर होगी, लेकिन यह कडवा सच है। पानी की कमी के लिए यह तमाम पानी कंपनिया काफी हद तक जिम्मेदार हैं। यह शुद्ध पानी को बनाने के नाम पर 100 लीटर पानी को 30 लीटर पानी में बदल कर आपको शुद्ध पानी देती हैं। जबकि अन्य 70 लीटर पानी का कोई अता पता नहीं होता है। आखिर इतने शुद्ध पानी की हमे क्या जारूरत आन पड़ी है, कि हम एक तिहाई पानी को नष्ट करके शुद्ध पानी को पीकर संतुष्ट हो रहे हैं। आज भारत में तकरीबन 3000 ऐसे ब्रांड मौजूद हैं, जो पानी का कारोबार करते हैं, जिसमें से तकरीबन 85 प्रतिशत लोकल ब्रांड हैं। अगर आकड़े पर नजर डाले तो, वर्ष 2013 में बोतलबंद पानी का देश में 6 हजार करोड़ रूपये का अच्छा- खासा कारोबार रहा है।
एक आकलन के मुताबिक वर्ष 2020 तक इसका कारोबार 36 हजार करोड़ यह इससे भी अधिक होने वाला है। आज भारत में लगातार देश-विदेश की ऐसी कंपनियां बढ़ती जा रही हैं, जो लोगों को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने का ठेका ले रही हैं। इनका पानी कितना शुद्ध होता है इसपर भी एक नजर डालते हैं। आपको जानकर थोड़ी हौरानी होगी कि, जो बोतलबंद पानी आप पीते हैं, उसमें सामान्य पानी के मुकाबले तकरीबन 25 क्लोरेट पाया गया है। इतना अधिक क्लोरेट किसी के आंत, मस्तिष्क, शरीर की महत्तवपूर्ण कोशिकाओं, के अलावा पूरे शरीर को क्षतिग्रस्त करने के लिए काफी है। आज पानी कंपनियों के सही गुणवत्ता को जांचने के लिए हमारे पास किसी भी प्रकार का कोई मानक निर्धारित नहीं है, इसके बावजूद भी हम इन झूठी कंपनियों पर बे तहाशा न सिर्फ यकीन कर रहे हैं, बल्कि इनपर खूब प्यार भी बरपा रहे हैं। जरूरत है समय रहते सतर्क होने की, अगर समय रहते हमने इन कंपनियों के बंद बोतल पानी को नहीं त्यागा तो निश्चित रूप से यह देश का सारा पानी अपने बोतल में बंद कर लेंगी और एक दिन ऐसा आएगा जब पूरे देश में पानी की मारा-मारी हो जाएगी और भारत भी बड़े जल संकट से जूझने लगेगा।
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लेखक आशीष कुमार शुक््ला
पत्रकार नवभारत टाइम््स समाचार पत्र नोएडा
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