जानकारियों का मारा पब्लिक बेचारा, ऑनलाइन व्यवस्था के बाद भी बेकार हो रहा लोगों का पूरा समय
आशीष शुक्ला। जहां एक ओर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए सूबे की सरकार प्रशासनिक स्तर पर सुधार को लेकर लगातार प्रतिबद्ध है, वहीं दूसरी ओर पब्लिक के जागरूक न होने की वजह से आज भी उन्हे तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली से 800 किलोमीटर दूर गोण्डा जिले में विभिन्न स्तर पर प्रशासनिक ढांचे में कितना सुधार हुआ है, और आज भी किस तरह की दिक्कतें वहां कि पब्लिक को झेलनी पड़ा रहीं हैं इसके बारे में आपको बताऊंगा। आरटीओ ऑफिस के अतुल मौर्या जी से फोन पर बतचीत का अंश मैं यहां हूबहू डाल रहा हूं जिससे आपको वर्तमान में आरटीओ ऑफिस की क्या दिक्कतें हैं और उससे पब्लिक को किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है यह आपको जानने को मिल जाएगा।
आज से तीन साल पहले जब कोई व्यक्ति ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने या किसी तरह की परमिट के लिए यहां आता था, तो वह दलालों के बीच में पिसकर ही काम को जल्दी करवा सकता था। स्थित तो ये थी की यदि दलाल को पैसे नहीं दिये और खुद ही बिना किसी लेनदेन के काम करने निकल गए तो आपको महीनों तक ऑफिस के चक्कर काटने पड़ते थे। स्थित आज ज्यादा बदली नहीं लेकिन, प्रशासनिक स्तर पर कई बदलाव किए गये जिनका लाभ पब्लिक नहीं उठा पा रही है। दलालों बिचौलियों से परेशान सरकार ने बढ़ते भ्रष्टाचार को कम करने व पारदर्शिता लाने के लिए लाइसेंस अप्लाई से लेकर लर्निंग लाइसेंस को निकलवाने तक की व्यवस्था ऑनलाइन कर दी। लेकिन आज भी लोग उसका व्यापक स्तर पर सही से इस्तेमाल न कर पाने की वजह से तमाम तरह के ऐजेंटों के चक्कर में आकर अपना पैसा बर्बाद कर रहे हैं। ऑरटीओ ऑफिस में कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक लोगों को आज जागरुक करते हैं कि आप इन बिचौलियों के चक्कर में न पड़ो और खुद से ऑनलाइन इस फॉर्म को भरो, लेकिन इसके बावजूद भी पब्लिक अपना काम खुद नहीं करना चाहती है। इनके चलते ही जबसे व्यवस्था ऑनलाइन हुई साइबर कैफे वालों का विशेष फायदा हुआ है, क्योंकि वह इस काम के लिए मनचाहा पैसा वसूल लेते हैं। इनके पास पर्याप्त जानकारी न होने की वजह से इन्हें आज भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ जाता है। हलांकि कुछ पढ़े-लिखे युवाओं के लिए यह व्यवस्था काफी अच्छी है और वह इसका भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं।
सरकार ने ऑनलाइन की व्यवस्था इसलिए लागू करवाई जिससे की लोग अपना महत्वपूर्ण समय बचाकर उसका इस्तेमाल रोजगार परक चीजों के लिए करें और व्यर्थ समय बर्बाद करने से बचें। लेकिन व्यापक स्तर पर जिले में तकनीकि जानकारी न होने की वजह से वह आज इन व्यवस्थाओं के बाद भी अपना अमूल्य समय बर्वाद कर रहे हैं।
लाइसेंस के लिए इन प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है आपको
सबसे पहले आपको लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इसके बाद फीस जमा करके उसकी कॉपी का प्रिंट आउट निकालना होता है। उक्त कॉपी को ऑफिस में ले जाकर संबंधित अधिकारी को देना होता है जिसके बाद वह उसका वेरीफिकेशन (जांच- पड़ताल) करते हैं। फिर आपको टेस्ट देना होता है, जिसमें ट्रैफिक के समान्य प्रश्नों की पूछताछ की जाती है। टेस्ट में सफल होने व केएमस के बाद लर्निंग लाइसेंस का एक मैसज रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर आ जाता है, जिसके द्वारा उसको कहीं से प्रिंट किया जा सकता है। लर्निंग के एक महीने बाद फीस जमा करके ऑफिस से परमानेंट लाइसेंस प्राप्त किया जा सकता है।

