अंतर्राष्ट्रीय खेल बैडमिंटन
बैडमिंटन रैकेट से खेला
जाने वाला, एक अंतर्राष्ट्रीय
खेल है । बैडमिंटन उत्साह और रोमांच का खेल है, क्योंकि एक छोटी
सी चिड़िया या शटलकॉक एक मैच में जीत या हार के बिंदु के लिए महत्त्वपूर्ण मानी
जाती है। ब्रिटिश
छावनी शहर पूना में
यह खेल खासतौर पर लोकप्रिय रहा, इसीलिए इस खेल को पूना अथवा पूनाई के नाम से भी जाना
जाता है ।
खेल का इतिहास
बैडमिंटन खेल की शुरुआत 19वीं सदी में हुई। सन् 1860 में यह खेल सर्वप्रथम बैडमिंटन हाउस में प्रस्तुत किया गया, जहाँ इस खेल को अधिकारिक रूप
से 'बैडमिंटन' का नाम दिया गया । सन् 1887 तक यह खेल अंग्रेजों द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार इंग्लैंड में खेला जाता रहा । 'बैडमिंटन एसोशिएसन ऑफ़
इंग्लैंड' ने सन् 1893 में
बैडमिंटन खेलने के नियम बनाए, और सन् 1899 में विश्व की पहली बैडमिंटन
चैम्पियनशिप ऑल इंग्लैंड
ओपन बैडमिंटन चैम्पियनशिप की शुरुआत की । , अंतर्राष्ट्रीय
बैडमिंटन संघ' (विश्व बैडमिंटन
संघ) की स्थापना 1934 में हुई । भारत इस संघ से 1936 में जुड़ा । भारत में
बैडमिंटन का खेल बहुत लोकप्रिय है । बैडमिंटन खेल एक ऐसा खेल है जो हर उम्र के
लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है । भारत में बैडमिंटन के कई महान एकल खिलाड़ी हुए
हैं, लेकिन भारतीय बैडमिंटन को सही
मायने में दुनिया के सामने लाने का श्रेय जाता है- प्रकाश पादुकोण को, जिन्होंने 1981 के 'क्वालालांपुर विश्व कप फाइनल' में चीन के सुपरस्टार 'हान जियान' को 15-0 से हराकर चीनियों के सपनो को
ध्वस्त कर दिया था ।
खेल के नियम
बैडमिंटन खेल को
एक साथ चार खिलाड़ी खेल सकते हैं । आयताकार के अनुसार खेल के मैदान को बीचों-बीच
एक जाल (नेट) द्वारा दो बराबर भागों में बांटा जाता है । प्रत्येक छोर पर खड़ा
खिलाड़ी अपने रैकेट से शटलकॉक (चिड़िया) को मैदान के दूसरे ओर खड़े खिलाड़ी की ओर
मारता है । दूसरी ओर खड़े खिलाड़ी को कॉक के बिना ज़मीन स्पर्श किए विरोधी खिलाड़ी
की ओर मारना होता है । यदि कॉक किसी भी खिलाड़ी के पाले में या जाल (नेट) में उलझ
जाती है तो विरोधी खिलाड़ी को अंक प्रदान किया जाता है । इस खेल में 14 अंक के तीन राउंड
होते हैं। जो खिलाडी तीन में से दो राउंड (चक्र) जीतने में सफल होता है, उसे विजेता घोषित
कर दिया जाता है।
मैदानी जानकारियां
बैडमिटन तीन
प्रकार से खेला जाता है - एकल बैडमिंटन , युगल बैडमिंटन . मिश्रित युगल बैडमिंटन , इन तीनों खेलों के लिए बैडमिंटन कोर्ट की नाप 11/2 (4 सेंटीमीटर) सफ़ेद रंग या लाल रंग की रेखाओं से स्पष्ट की जाती
है। युगल खेल के लिए 'कोर्ट' का आकार 44 फुट X 20 फुट तथा एकल खेल के लिए 44 फुट X 17 फुट होता है। नैट के दोनों ओर 61/2 फुट 'शार्ट सर्विस' रेखा खींची जाती है। कोर्ट को
दो समान भागों में बाँटने के लिए 'साइड लाइन' के समानांतर एक रेखा खींची जाती है। कोर्ट का बायाँ आधा भाग
'बाँयी सर्विस कोर्ट' तथा दायाँ आधा भाग 'दाँयी सर्विस कोर्ट' कहलाता है। पीछे की 'गैलरी' 21/2 फुट तथा 'साईड गैलरी' 11/2 फुट होती है ।
बल्लियाँ - बैडमिंटन के नैट को तान कर रखने के लिए दो
बल्लियाँ लगाई जाती है। ये बल्लियाँ फ़र्श से 5 फुट 1 इंच (1.55मीटर.) ऊँची होनी
चाहिए।
जाल - बैडमिंटन का जाल अच्छा व रंगीन डोरी का बना होता है । जाल की जाली 3/4 इंच से 1 इंच होती है। जाल की
चौड़ाई 2 फुट 6 इंच होनी चाहिए । जाल का ऊपरी भाग
केन्द्र में भूमि से 5 फुट तथा बल्लियों से 5 फुट 1 इंच ऊंचा होना
चाहिए । जाल के दोनों
सिरों पर 3 चौड़ी दोहरी गोट होनी चाहिए, जिनके बीच डोरियाँ हों, जो जाल को
बल्लियों पर कस कर ताने रखने के काम लाई जा सकें ।
शटलकॉक - बैडमिंटन की
शटलकॉक का वज़न 73 ग्रेन (4.73 ग्राम) से 85 ग्रेन (5.50 ग्राम) हो । इसमें 1 से 11/2 के व्यास वाली
कार्क में 14 से 16 तक कसकर 'पंख' लगे हुए हों ।पंखों की लम्बाई 21/2
से 23/4
हो तथा ये 21/2 से 21/8 के दायरे में फैले
हुए होने चाहिए ।
टॉस - खेल प्रारम्भ होने से पहले दोनों पक्षों
द्वारा टॉस किया जाता है। टॉस जीतने वाला पक्ष निम्नलिखित का चुनाव करेगा-पहले
सर्विस करना , पहले सर्विस न करना+, दिशा का चुनाव करना शेष बातों का चुनाव टॉस हारने वाला पक्ष करता
है ।
स्कोर - बैडमिंटन खेल में पुरुषों के युगल और एकल खेल
के लिए 15 या 21 अंकों का खेल होता है । यदि 15 अंक वाले खेल में स्कोर दोनों पक्षों का 13 अंक बराबर (13 ऑल) हो जाए तो, पहले 13 अंक बनाने वाले
पक्ष को पाँच अंक पर खेल स्थिर (सैट) करने का अधिकार होता है । स्कोर (14-ऑल) होने पर पहले
(14 ऑल) अंक बनाने वाला पक्ष 3 अंक पर खेल स्थिर (सैट) कर सकता है । बैडमिंटन खेल के
स्थिर होने पर पहले 5 अंक या 3 अंक बनाने वाला पक्ष खेल जीत जाता है ।
प्रत्येक दिशा में 13 या 14 अंक समान होने पर ही अगली सर्विस से पहले खेल
स्थिर होने की घोषणा अवश्य होनी चाहिये । इस प्रकार 21 अंक के खेल में 19 और 20 अंक पर खेल स्थिर
होना चाहिए । महिलाओं के एकल खेल में 11 अंक होते हैं । सबसे पहले 9 अंक बनाने वाली
खिलाड़ी 3 अंक पर खेल स्थिर (सैट) कर सकती है। 10 ऑल होने की दिशा में पहले 10 अंक बनाने वाले
खिलाड़ी 2 अंक पर खेल स्थिर कर सकती है।
दिशाएँ बदलना - बैडमिंटन के पूर्व निर्णय के अनुसार विपक्षी दल
तीन खेल खेलेंगे । तीनों में से दो खेल जीतने वाला विजेता कहलाएगा । खिलाड़ी दूसरा
खेल आरम्भ होने से पहले दिशाएँ बदलते हैं । यदि खेल के निर्णय के लिए तीसरा खेल
आवश्यक हो तो, उसमें भी दिशाएँ बदली जाती हैं । तीसरे खेल में खिलाड़ी निम्न प्रकार से
दिशाएँ बदलते हैं- 15 अंकों वाले खेल में 8 पर । , 1 अंकों वाले खेल में 6 पर ।, 21 अंकों वाले खेल
में 11 पर।
युगल खेल - बैडमिंटन खेल में पहले सर्विस करने वाले पक्ष का निर्णय हो
जाने पर दूसरे पक्ष के दायें अर्द्ध क्षेत्र का खिलाड़ी खेल शुरू करेता है । वह
दायें अर्द्ध क्षेत्र के विपक्षी को सर्विस देगा । यदि विपक्षी खिलाड़ी शटलकॉक के
भूमि से स्पर्श करने से पहले उसे वापिस कर दे तो, खेल आरम्भ करने वाला
खिलाड़ी फिर उसे वापिस करता है । इस प्रकार खेल तब तक जारी रहेगा, जब तक कि 'फाऊल' न हो जाए या
शटलकॉक खेल में न रहे । 'सर्विस' वापिस न होने अथवा विपक्षी द्वारा फाऊल होने की
दशा में सर्विस करने वाला एक अंक जीत जाता है । सर्विस करने वाले पक्ष के खिलाड़ी
अपना क्षेत्र बदलेंगे । अब सर्विस करने वाला बायें अर्द्धक में रहेगा तथा सामने की
ओर दायें अर्द्धक का खिलाड़ी सर्विस प्राप्त करता है । प्रत्येक पारी के आरम्भ में
प्रत्येक टीम पहली सर्विस दायें अर्द्ध क्षेत्र से करता है ।
एकल खेल के लिए - बैडमिंटन का खिलाड़ी उसी दिशा में दायें क्षेत्र
से सर्विस करेगा या प्राप्त करेगा, जब स्कोर शून्य है या खेल में सम अंक प्राप्त
किए गए हों । बैडमिंटन के अंक विषम होने की दशा में सर्विस सदैव बायें क्षेत्र की
ओर से प्राप्त की जाती है । बैडमिंटन के अंक बन जाने पर दोनों खिलाड़ी
बारी-बारी से क्षेत्र बदलते है ।
सर्विस सम्बन्धी अन्य नियम - सर्विस वही
खिलाड़ी प्राप्त करेगा, जिसे सर्विस दी जाती है। यदि शटलकॉक दूसरे
खिलाड़ी को स्पर्श कर जाए या वह उसे मार दे तो, सर्विस करने वाले
को अंक मिल जाता है। एक खिलाड़ी खेल में दो बार सर्विस प्राप्त नहीं कर सकता । पहली पारी में खेल
आरम्भ करने वाला केवल एक खिलाड़ी सर्विस करेगा। आगे की पारियों में प्रत्येक
खिलाड़ी सर्विस कर सकता है। खेल जीतने वाला पक्ष ही पहले सर्विस करेगा। जीते हुए
पक्ष का कोई भी खिलाडी सर्विस कर सकता है और हारे हुए पक्ष का कोई भी खिलाड़ी इसे
प्राप्त कर सकता है । यदि कोई खिलाड़ी अपनी बारी के बिना या ग़लत क्षेत्र से
सर्विस कर दे और अंक जीत जाए तो, वह सर्विस 'लैट' कहलाएगी। परंतु इस
'लैट' की माँग दूसरी सर्विस शुरू होने से पहले की जानी चाहिए ।
साधारण नियम - सर्विस करने वाला
या सर्विस प्राप्त करने वाले खिलाड़ी, अपने-अपने क्षेत्र की सीमाओं में खड़े होगें
तथा इनके दोनों पाँवों के कुछ अंग सर्विस प्राप्त होने तक भूमि से टिके रहेंगे । सर्विस उस समय तक
नहीं करनी चाहिए, जब तक कि विपक्षी तैयार नहीं होता, परन्तु यदि विपक्षी सर्विस प्राप्त करने की
चेष्टा करता है तो, उसे तैयार माना जाएगा ।
ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन
चैंपियनशिप पर एक नजर
11 मार्च 2001 को ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन
चैंपियनशिप जीत कर भारत के स्टार शटलर पुलेला गोपीचंद ने भारतीय खेल जगत में एक
नया इतिहास लिख डाला । इससे 21 वर्ष पूर्व प्रकाश पादुकोने ने भारत में बैडमिंटन की
ऊँचाइयों को छुआ था। पिछले ओलंपिक के गोल्ड पदक विजेता और विश्व के नम्बर 1 खिलाड़ी को क्वार्टर फाइनल और
फिर सेमी फाइनल विश्व बैडमिंटन मुक़ाबले मे हराना और फिर फाइनल में भी हरा कर जीत
जाना एक सपने जैसा था जैसा कि अक्सर भारतीय फ़िल्मों में हीरो के साथ होता है
परंतु गोपीचंद ने इसे असल ज़िंदगी में कर दिखाया ।
खेल और खेल
मे पुरस्कृत खिलाड़ी
भारत में प्रतिभावान बैडमिंटन
खिलाड़ियों में प्रकाश पादुकोण, पुलेला गोपीचंद, अभिन श्याम गुप्ता, निखिल कानितकर, सचिन राठी, अपर्णा पोपट, साइना नेहवाल और नेहा अटवाल प्रमुख हैं । इन्होन देश का और अपना
खूब नाम रोशन किया है । प्रकाश
पादुकोण को , राजीव
गाँधी खेल रत्न, अर्जुन
पुरस्कार, द्रोणाचार्य
पुरस्कार, पद्म श्री से नवाजे जा चुके है । 1998 में नई
दिल्ली में राष्ट्रीय
चैंपियनशिप मुक़ाबले मेंयह चैंपियन रह चुके है । 1998 में ही बैंगलूर के बी.पी.एल. आल इंडिया
मुक़ाबले में चैंपियन बने । साइना नेहवाल भी बहोत होनहार खिलाड़ियो मे से एक है ,
उन्हे अब तक पद्म श्री, राजीव
गाँधी खेल रत्न पुरस्कार, अर्जुन
पुरस्कार से नवाजा जा चुका है । लंदन ओलंपिक 2012 में साइना नेहवाल ने इतिहास रचते हुए बैडमिंटन की महिला एकल
स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया। बैडमिंटन में ऐसा करने वाली साइना नेहवाल भारत
की पहली खिलाड़ी हैं ।
खेल मे करियर
जीवन
में सफलता के लिए सबसे जरूरी है सही करियर का चुनाव । क्योंकि अक्सर करियर का सही
चुनाव नहीं कर पाने के कारण ही व्यक्ति को जीवन में बड़ी कामयाबी नहीं मिल पाती करियर
बनाने के लिए आजकल युवा ऐसे ऑप्शन तलाश रहे हैं,
जिनमें पैसे के साथ-साथ
ग्लैमर भी हो। आप बैडमिंटन खिलाड़ी बनकर
ये दोनों ही चीजें बड़ी आसानी से हासिल कर सकते हैं । आप एस खेल को खेल कर अर्जुन
पुरस्कार , वह पद्म श्री जैसे पुरस्कार को पा सकते है । जरुरत है हौसले की और कुछ
करने का जज्बे की आप भी अच्छा खेल कर प्रकाश पादुकोण बन
सकते है ।