Nov 7, 2014



E TV ke ग्रुप के संपादक वह आज तक हिन्दी समाचार चैंनल में अपराध पत्रकारिता के प्रमुख पत्रकार ... सम्स ताहिर खान से भेटवार्ता के कुछ अंश
............. आपने अपराध की खबरो को एक नई पहचान प्रदान की है । आपके अथक परिश्रम का फल है की आज तमाम समाचार चैनल अपराध पत्रकारिता को फॉलो कर रहे हैं ।

1 आपने अपनी शिक्षा कहां से पूर्ण की वह अनुभव कैसा था ?
मैंने अपनी शिक्षा दिल्ली के रामजस स्कूल से पूर्ण की इसके पश्चात , दिल्ली विश्वविद्लय से मैंने छह महीने का जर्नलिजम का डिपलोमा कोर्स किया।  उस समय पत्रकारिता के कोर्स बहोत कम ही हुआ करते थें । मैंने पत्रकीरिता की कोई विशेष पढ़ई नही की है। पर उस समय का अनुभव बहोत ही अच्छा था जो कुछ भी सीखा वह मेरे काम आया रहा है ।

2 अपके जीवन में पत्रकारिता की शुरुआत कैसे हुई और आप एंकर कैसे बने ?
कालेज से पढ़ाई पूरी करने के पश्चात 1993 - 094 मे मैंने अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत की ।  कॉलेज से निकलने के पश्चात मैंने स्टिंगर के तौर पर जनसत्ता ज्वाइन किया । मेरे पत्रकार बनने के पीछे दो चीजे हैं ,  मुझे क्रिकेट खेल का बहोत ही शौक था , वहा की रिर्पोटिंग करना खिलाड़ियो से मिलना आदि । दूसरा यह था मुझे बचपन से जासूस बनने का बड़ा शौक था , इस लिए मैंने क्राइम रिर्पोटिग को करना उचित समझा , क्योकि इसमे हर दिन कुछ नया होता है ,तो जासूसी करने का मेंरा सपना भी पूरा हो रहा था । , मै अपने आपको एंकर नही मानता हूं मैं खुद को एक क्राइम रिर्पोटर मानता हूं क्योकि यह मेरा शौक है मैंने नौकरी समझ कर कभी अपने काम को नही किया । जो लोग इसे नौकरी समक्ष कर करेगे वह इसे नही कर पाऐगे । जो कुछ चैनल में होता है वह रिर्पोटर ही होता है ।   

3 जीवन में आपके प्रेरणा स्रोत कौन हैं ,और इस कामयाबी का राज क्या हैं ।
मैंने प्रभात जोशी जी को लिखते देखा है , और राम बहादुर रॉय जी थे उनको लिखते देखा है , सुशील कुमार सिंह थे उनको देखा , मैंने इनके साथ रहकर  बहोत कुछ सीखा और समझा यही मेरे गुरु और मेरे प्रेरणा स्रोत हैं । और कोई राज नही है जो अपने कार्य के प्रति सच्ची निष्ठा रखता है ,और  हर कार्य को जिम्मेदारी पूर्वक करता है । वही कामयाब हो जाता है ।

4 आप रिपोर्टिग और एंकरिग मे से किसे बेहतर मानते हैं और क्यो ।
दोनो माध्यमो का काम लगभग एक जैसा ही होता है । पर अच्छा एंकर वही बन सकता है , जिसके पास तह की भरपूर्ण जानकारी है । अगर एक रिर्पोटर एंकर बनता है  , तो वह काफी अच्छी तरह से चीजो को समझता है । और फिर वह काफी अच्छी एंकरिग कर सकता है । एक अच्छा एंकर तब तक अच्छा एंकर नही बन सकता है , जबतक वह अच्छा रिर्पोटर नही बनता । एक एंकर को हर चीज की जानकारी होनी चाहिए चाहे वह उसके पसंद की हो यह ना हो पर पता अवश्य होनी चाहिए । अगर जमीनी जानकारी सही नही है तो एक अच्छा एंकर बनना नामुकिंन है ।

5 अपराध रिपोर्टिग के दौरान किन- किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है ?
यह सब बाते कितबी है , मैं समझता हूं की कोई चुनौंती और चैलेंज नही है , आपको एक स्टोरी करनी होती है  जो दूसरे के जिंदगी से जुड़ी हुई भी हो सकती  है । इस लिए आपको बहोत सजग होकर हर कदम चलना पडता है । क्राईम रिर्पोटिग में स्रोत से मिली खबरो को बहोत ही बारीकी से जॉंचना चाहिए । घटना की रिर्पोट को सही ढ़ग से प्रस्तुत करने की प्रकिया मालुम होनी चाहिए । अपराध पत्रकारिता में आपको आए दिन तरह – तरह की धमकिया मिलती रहती हैं , पर आपको डरने की जरुरत नही है । एक क्राइम रिर्पोटर अपनी जान हथेली पर रख कर चलता है ।  कहा गया है ना , , मुद्दाए लाख बुरा चाहे तो क्या होता है , वही होता है जो मंजूरे खुदा होता ।

6 अपने पत्रकारिता जीवन की ऐसी किसी यागगार घटना या अनुभव के बारे मे बताएं जिसे बहोत सराहा गया हो या जिसे आप अपने जीवन में मील का पत्थर मानते हो ?
जब 2001  मैंने जुर्म प्रोगाम की शुरुआत की , तब  यह टेलीवीजन का पहला  एक साप्ताहिक प्रोग्राम था । शायद किसी ने सोचा नही था कि न्यूज चैनल पर एक आधे घंण्टे का शो आएगा । पर इसमे चैलेंज यह था कि दिखाये तो क्या , तब मुझे सोच आई कि इसमे वह जुर्म दिखाया जाए जो थोड़ा हटकर हो .उदाहरण स्वारुप राजस्थान में एक गांव जहां लोग जब काम करने जाते हैं तब अपनी पत्नियो को कमरे में बद करके ताला लगा देते हैं   जब मैने इस तरह की सनसनी खेज स्टोरिया की तब मुझे बहोत शराहा गया । इस तरह की खबरो को जब कोई भी सुनता है , तो   अवश्य चकित जाता है । जब इसकी शुरुआत की  तब जुर्म देश में देखा जाने वाला नंबर वन प्रोग्रम  था । बाद में कई चैनलो ने इसकी शुरुआत की और आज तो जैसे बाढ़ ही आ गई हो  

7 अपराध समाचारो की दुनिया मे दिन-रात व्यस्त रहने वाले एंकर और रिपोर्टर क्या अपने परिवार के लिए समय निकाल पाते हैं ?
नही यही तो दुःख है , समय की व्यस्तता इतनी अत्यधिक होती है की पता नही चलता कब दिन हुआ और कब रात , समय की व्यस्तता के कारण समय निकालना काफी मुशकिल होता है । पत्रकारिता की नौकरी 24 घण्टे 7 दिनो की होती है , इसमें आप कभी खाली नही होते । समय की अत्यधिक व्यस्तता के कारण घर पर समय दे पाना अत्यधिक मुशकिल होता है ।

8 माना जाता है कि देश के अन्य राज्यो के मुकाबले एनसीआर में होने वाले अपराध के समाचारो की अधिक प्राथमिकता मिलती हैं ऐसा क्यो ?
क्योकि यहां की घटना को लोग देखना पसंद करते हैं , और जो चीजे आज लोग देखना चाहते हैं चैनल वही दिखाता है । दमदार खबरे वही होती हैं जो लोगो को चौका दें , यह कारण है की मैट्रो शहरो की खबरो को ज्यादा दिखाया जाता है । एनसीआर की खबरे बहोत ही महत्तवपूर्ण होती है , क्योकि यहा की सारी खबरे  भारत की राजधानी से जुड़ी होती हैं । आज हर कोई यहा की खबरो को देखना पसंद कर रहे हैं । चाहे वह अपराध से जुड़ी हो यह फिर किसी अन्य चीजो से ,  यही कारण है कि , अन्य राज्यो के मुकाबले एनसीआर की खबरो को ज्यादा दिखाया जाता है ।  

9 लोग कहते है कि टीवी पर अपराध दिखाने से जागरुकता कम फैलती है और अपराध अधिक बढ़ता है इसपर आपका क्या कहना है ?
नही मैं बिलकुल नही मानता कि सिर्फ चैनल पर दिखाने से अपराध बढ़ता है । मैं मानता हूं की कुछ लोग  नकल करते हैं , और जुर्म को अंजाम देते हैं  , पर यह बहोत कम हद तक ही सही है । जब हम अपराध से जुड़ी खबरो को दिखाते हैं तो कही ना कही हम कई लोगो को शर्तक भी करते हैं । लोगो को हम दिखाते हैं की चोर इस तरह से घर में घुस सकता है  , और कई अन्य तरह की अपराध से जुड़ी महत्वपर्ण घटनाओ को हम दिखाते हैं , प्रोग्रामो को लोग देखते हैं और नशीहत लेते हैं । 

10 हमारे देश मे वक्त –बेवक्त अपराध होते हैं इसपर लम्बे समय तक रिपोर्टिग और एंकरिग करना मुशकिल काम हैं आप कैसे कर लेते हैं ?
बात होती हैं पैशन की होती हैं , अगर कोई नौकरी समझ कर इसे करना चाहता है तो वह बिलकुल नही कर पाएगा  । अगर अपराध रिर्पोटिंग आपका पैशन है जुनून है तो ही आप इस फील्ड में कदम रखे । हर फील्ड मे लोग अपना – अपना काम करते हैं , उसी तरह से क्राइम रिर्पोटिंग भी है । क्राइम की खूबसूरती यह है की इसमें आपको नए लोग मिलते हैं नये जगह मिलते हैं वह नये विचार मिलते हैं ,यही वजह है कि लोग क्राइम के प्रोग्रामो को देखते वह पसंद करते हैं । अपराध से जुड़ी खबरो पर काम करना उन्हे दर्शको के बीच अच्छी तरह से प्रस्तुत करना मेंरा शौक है ।

11 आज के अधिकांश विद्धी टीवी रिपोर्टिर या एंकर बनना चाहते हैं इसके लिए उन्हे क्या तैयारी करनी चाहिए
अभी तक जो मेंरा अनुभव हैं , टेलीवीजन में सीखने के लिए कुछ नही हैं । मैं टीवी 3 दिनो में सिखा सकता हूं और दावा करता हूं कि चौथे दिन सीखने के लिए कुछ नही बचेगा । स्क्रिपटिंग और दूसरी खबरो की समझ यह दो चीजे जिसे मैं शायद तीस साल मे भी नही सिखा पाऊ ,स्क्रिपटिंग ना तो क्लाश में नही सिखाई जा सकती इसे आपको खुद सीखना होता हैं । आज चैनल को कुछ नया चाहिए कुछ नया लेकर आओगे तभी वेलकम हैं । अगर सब में और आपमें कोई अंतर नही होगा तो कोई आपको क्यो लेगा । इस लिए मैं कहना चाहूंगा कि कुछ नया और वेहतर करने के प्रयास में हमेसा लगे रहे सफलता जरुर मिलेंगी 

12 अपराध पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना करियर बनाने की इच्छा रखने वाले विद्दथीयो को आप क्या सलाह देना चाहेंगे ?
अपराध पत्रकारिता में करियर बनाने के लिए अच्छी छवि की जरुरत हैं । एक रिर्पोटर को अपनी छवि बनाने में सालो लग जाता हैं , और तोड़ने में एक दो  स्टोरी काफी हैं । आप कितने अच्छे रिर्पोटर हैं , यह आपकी स्टोरी पर निर्भर करता हैं । घटना के दर्द को व्यक्त करने के लिए आपके पास शाब्द होने चाहिए । घटना की तह तक जाकर बारीकी से घटना के बारे में सही वह रोचक चीजे निकालनी होती हैं । अपराध पत्रकारिता में सबसे जरुरी हैं , कि जिस घटना पर आप रिर्पोर्ट कर रहे हैं , उसके रिर्पोर्ट सत प्रतिशत सही होने चाहिए , सूत्रो से मिली जानकारियो को टटोलना चाहिए । पुराने जमाने में पुलिस वाले  कहते  थे ना कि अपने बाप पर भी शक करो  । उसी तरह एक क्राईम रिर्पोटर का सिर्फ एक लाइन होना चाहिए कि ,, शक पर भी शक करो.. अगर एसा करते हो तो कभी मार नही खाओगे । 

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