काला धन यह काले लोग…..?
आशीष शुक्ला -
अगर टैक्स चोरी करने वाले देश के सभी काले लोग सुधर जाए तो निश्चत रूप से हमारा राष्ट्र एक दिन विकसित राष्ट्रों के श्रेणी में खुद को खड़ा पा सकता है। विदेशों मे जमा काला धन इतना अधिक है कि अगर यह भारतीय अर्थव्यवस्था में जुड जाए तो इसे सवरने में थोड़ा समय भी नहीं लगेगा। 
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आज हमारा राष्ट्र भ्रष्टाचार, कुशासन, महंगाई, बेरोजगारी से जूझ रहा है यह समस्यायें भारत के सामने मुंह बाये खड़ी हैं लेकिन हमारा राष्ट्र और मौजूदा सरकार इनसे भयभीत हुए बिना बड़ी बहादुरी के साथ इनसे लड़ रहे हैं। राष्ट्र को वैश्विक बुलंदियों तक पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में चल रही भारतीय जनता पार्टी आज देश में सुशासन के लिए भ्रष्टाचार पर सीधा प्रहार करते हुए इसका खत्मा करने के लिए प्रयासरत है। 
यह सिर्फ एक कोशिश मात्र नहीं है, बीते दो सालों मे इसका रिजल्ट भी देश-वासियों को तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप देखने को मिला है। राष्ट्र की अर्थव्यवस्था पर सबसे ज्यादा प्रभाव भ्रष्टाचार, कुशासन, और काले धन से पड़ता है। काले धन का मुद्दा एक ऐसा मुद्दा है जिसको लेकर भाजपा अपने चुनावी प्रचार के दौरान से ही काफी ज्यादा सजग रही है। सरकार ने देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को गंभीरता से लेते हुए काले धन को लेकर (एसआइटी) का गठन किया, जिसके बाद काला धन रखने वाले यह काहे की काले लोगों के होश उड़े थे 21,000 करोड़ की अघोषित आय का इसमें खुलासा हुआ था साथ ही 2015 में ब्लैक मनी एक्ट जिसे (अनडिसक्लोज्ड फॉरेन इनकम एंड असेट्स) के नाम से जाना जाता है में 50,000 करोड़ कर चोरी करने वालों को पकड़ा गया था। 
सरकार द्वारा प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट, इनकम डिक्लेरेशन स्कीम, से सक्रियता लगातार बढ़ी रही है। यही कारण है कि हालिया में स्वीट्जरलैंड के केंद्रीय बैंकिंग प्रधिकरण स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) में हमें वहां जमा भारतीयों द्वारा जमा धन में तेजी से गिरावट होने की बात कही है। यह एक तिहाई घटकर रिकॉर्ड सबसे निचले स्तर 1.2 अरब फ्रैंक करीब (8,392 करोड रूपये) पर पहुंच गया है। इस आँकड़े से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार काले धन के मुद्दे पर कितना गंभीर है। 
1997 से स्विस बैंक ने विदेशियों के जमा धन के बारे में आँकड़े सार्वजनिक करना शुरू किया था तब से लेकर अब तक के रिपोर्ट पर अगर नजर डाले तो ऐसा पहली बार हुआ जब भारतीयों का काला धन वहां कम हुआ हो। 2006 के अंत तक भारतीयों की स्विस बैंकों में जमा रकम का रिकॉर्ड ऊँचे स्तर 6.5 अरब सीएचएफ तकरीबन 23,000 करोड़ रूपये पर था लेकिन इसके बाद से लगातार यह घटता जा रहा है, हलांकि 2011 में इसमें 12 फीसद, 2013 में 42 फीसद  इजाफा हुआ था। 2015 तक स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा सीधे जमा की गयी कुल रकम 120.67 करोड़ सीएचएफ रह गया था और ठीक इसके एक साल पहले यह रकम 177.6 करोड़ थी। 2015 से लेकर अब तक भारतीयों द्वारा स्विस बैंक में जमा की गयी राशि में काफी कमी दर्ज की गयी है, इसका श्रेय मौजूदा सरकार को मिलना चाहिए चूँकि सरकार की सजगता से ही स्विस बैंकों में करोड़ो रुपये जमा करने वाले भारतीयों को अब चैन की नींद नहीं आ रही है।  
वर्तमान में सरकार द्वारा चलाई गयी एक योजना मे कोई भी अपनी अघोषित आय पर टैक्स चुका कर उसे नैतिक रूप दे सकता है, इस बात को बीते कुछ दिन पहले स्वंय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से अपने मन की बात प्रोग्राम में कही थी, साथ ही उन्होंने उन काले लोगों को यह हिदायत भी दी थी की यह उनके लिए आखिरी मौका है और इसके बाद किसी भी हालत में उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। 
प्रधानमंत्री मोदी के इस सराहनीय कार्य से निश्चित रूप से अब काला धन रखने वालों के बीच अफरातफरी का माहौल होगा और अगर यह महौल देश में आने वाले तीन सालों तक बना रहे तो निश्चित रूप से भ्रष्टाचार पर काफी लगाम लगेगा और अगर ऐसा हुआ तो भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। टैक्स चोरी करने वाले लोगों को भी अब एकजुट होना होगा और उन्हें इसका ख्याल रखना होगा की वह भी भारत के हैं और यहां की अर्थव्यवस्था से उनका सीधा लेना-देना है, जिससे वह राष्ट्र हित के लिए राष्ट्र को मजबूती देनें के लिए जरूर राश्ते पर लौटगें। अगर टैक्स चोरी करने वाले देश के सभी काले लोग सुधर जाए तो निश्चत ही हमारा राष्ट्र विकसित राष्ट्रों के श्रेणी में खुद को खड़ा पा सकता है। विदेशों मे जमा काला धन इतना अधिक है कि, अगर यह भारतीय अर्थव्यवस्था में जुड़ जाए तो इसे सवरने में थोड़ा भी समय नहीं लगेगा। अगर 25 लाख करोड़ रूपये देश के 6.38 लाख गांवों में बराबर बांट दिया जाए तो प्रत्येक के हिस्से में 3.91 करोड़ रूपये आएंगे। यह इतनी पर्याप्त रकम है कि इससे एक गांव में एक प्राथमिक विद्यालय, एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ गांव की तमाम अन्य जरूरी सुविधाओं को आसानी से मुहैया कराया जा सकता है।………….
लेखक बीबीसी खबर दिल्ली में स्पेशल स्टोरी राइटर हैं।  
 

 
 
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