कौन बनेगा प्रधानमंत्री 2014
सत्ता के
गलियारे में आने के लिए आज जिस तरह हर पार्टियां व्याकुल नजर आ रही हैं व अपनी
नीतियो पर जोरो- सोरो से कार्य कर रही हैं ये काफी रोचकता पूर्ण हैं । चाहे वो
काग्रेंस ,वीजेपी जैंसी बडी पार्टियां हो यह फिर अन्य पार्टिया सत्ता में अपनी
पहचान काबिज करने के लिए हर अथक प्रयास कर रही हैं जो देखने लायक हैं । आज हर किसी
के जहन में बस यही सवाल हैं कि कौन होगा हमारा अगला प्रधानमंत्री इसकी चर्चा जोरो
पर हैं , प्रधानमंत्री पद के लिए पार्टियो
में होड लगी हैं ,, हर पार्टिया अपने आप को इसका प्रबल दावेदार मान रही हैं । लोक
लुभावन नारो की लहर आज पूरे देश में जोरो से चल रही हैं , वोट बैंक की राजनीति अपने
चरम सीम पर हैं, जन्ता को लुभाने का हर अथक प्रयास किया जा रहा हैं । पार्टियां एक
दूसरे पर आरोप थोपने से बाज नही आ रही हैं , दूसरो को गलत साबित करके खुद को सही साबित करने की तरकीब बहोत
पुरानी हैं । हम बात करते हैं वीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार वा गुजरात
के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की पार्टी
का मानना हैं की नमो नमो की लहर पूरे देश में हैं ,, गुजरात मॉडल को दिखाने वाले
मोदी जिन्हे हिन्दुवादी नेता के नाम से जाना जाता हैं हिन्दुत्व की राजनीति करने
वाले मोदी क्या अपना पहचान बना पाऐगे इस लोकसभा चुनाव में खैर इसके लिए हमें बस
थोडा और इंतजार करना होगा । किसी भी
पार्टी को सरकार बनाने के लिए 272 सीटो की आवश्यकता होती हैं तब जाकर पूर्ण बहुमत
से सरकार बनती हैं हमारा समाज तरह-तरह के जाति धर्म के लोगो से बना हैं अगर मोदी
हिन्दुत्व की राजनीति करेगे तो बाजी मारना सायद मुशकिल होगा ।,वीजेपी जिस तरह से
दावे कर रही हैं भ्रष्टाचार खत्म करने की और काग्रेस पर आरोप लगा रही हैं ,तब जब
कोयला आवंटन और टू जी घोटाले काग्रेंस के सरकार मे हो रहा था तब वीजेपी ने क्यो
चुपी साध रखी थी तब काग्रेस का विरोध क्यो नही किया , अब जब लोकसभा चुनाव आने में
महज कुछ ही समय बचा हैं तो हर पार्टीया विपंक्ष पर आरोप लगाने से बाज नही आ रही
हैं ,अपने को सही साबित करने के लिए दूसरो को गलत साबित कर देना आज की नई बात नही
हैं यह इतिहास में बहोत पहले से विद्दमान है । याद कीजिए जब दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री
अरविंद केजरीवाल ने अपने 18 मुद्दो को
विधानसभा में पेश किया तब वीजेपी ने उसपर समर्थन नही किया , क्या वीजेपी ने
सिर्फ इस लिए समर्थन नही किया कि काग्रेस भी समर्थन कर रही थी , । हम उन 18 मुद्दो
पर भारत के विकास को बतौर देख सकते हैं चाहे वो बिजली , पानी ,विकास या फिर
भ्रष्टाचार को खत्म करने की , वीजेपी का इसपर समर्थन ना होने का मतलब यह निकलता
हैं, कि उन मुद्दो पर सहमत नही हैं । फिर अगर वीजेपी की सरकार बन ही जाती हैं तो
यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि उन मुद्दो के अलावा क्या कार्य कर पाती हैं । हमारे
देश में युवावो की भागेदारी चुनाव में बेहत महत्वपूर्ण हैं भारत की कुल आवादी में
से करीब 67 प्रतिशत युवा हैं, तो अगर कहा जाए कि सत्ता की चाबी इनके हाथो में हैं
तो र्निविवाद होगा, पर युवावो के लिए आज कोई भी पार्टी कार्य नजर नही रख रही हैं यह
काफी निदनीय हैं । क्योकि भारत में वेरोजगारी लगातार बढ़ रही है, जिसमे युवावो की
भागेदारी सबसे अधिक हैं जब तक इन्हे रोजगार के अवसर नही प्राप्त होगे तब तक ना तो
भारत से गरीबी ,, खत्म होगी और ना किसी प्रकार का विकास संभव हैं । वादो से विकास
नही किया जा सकता सिर्फ वोट बैंक की राजनीती की जा सकती हैं, कागेंस जो राष्ट्रीय
पार्टी होने के साथ सत्ता में 60 सालो से हैं इनके द्वारा किया गया गया विकास साफ –
साफ देखे जा सकते हैं जन्ता से कुछ छिपा नही हैं चाहे वो कोयला आवंटन घोटाला हो
जिसमें 1067000 करोड़ फिर राष्ट्रमंडल खेल
या टू जी ये जितने बडे घोटाले काग्रेंस के शासन काल में हुए हैं यह निंदनीय हैं ना
सिर्फ काग्रेंस पर यहां तक प्रधानमंत्री पर भी काफी आरोप लगें जन्ता सब पर बराबर
नजर रखती हैं ,यह- हमें बीते विधानसभा चुनाव में बतौर दिखा । यह देखना काफी रोचकता
पूर्ण होगा की आने वाले लोकसभा चुनाव में काग्रेंस कितने हद तक अपनी नीतियो पर सफल
होती हैं । खैर अभी तक काग्रेंस नें अपने
प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को सामने नही उतारा यह समझा जा सकता हैं , पर राहुल
गांधी इसके प्रबल दाबेदार मानें जा रहे हैं । वही राहुल भी कम नही वो भी जन्ता से
वायदे करने में पीछे नही हटते अब हम राहुल से भी अवगत हो लेते हैं इनकी छ अहम बिल थी जिसमें से एक लोकपाल बिल भी था, पर
जिस तरह यह बिल कैबनेंट में नही पारित हुए अब पता नही कि की लोकपाल बिल गलत था यह
फिर कैबनेंट में कोई गडबड़ी थी । कोई साफ- पाक नही हैं बडे दावे करना हर पार्टियो
की नीतिया होती हैं जन्ता को तरह-तरह लुभाने की भरपूर कोशिस की जाती हैं । पर यह
अभी भविष्य के गर्भ में छिपा हैं किसकी सरकार बनेगी यह अनुमान लगाना खासा मुशकिल
हैं, किसका ड़का बजेगा और कौन बनेगा प्रधानमंत्री इसका फैसला जन्ता जर्नादन तय करेगी ...... आशीष शुक्ला
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