Aug 23, 2015

गुज़ारिश

तीसरी गज़ल


गुज़ारिश है तुमसे इक़ बार मेरे इश़्क पर य़कीन तो करो
अब भूल भी जाओ मेरे बग़ैर गुज़ारी हुई रातें
आओ मेरे साथ नई रात की शुरूआत तो करो।
अफ़सोस है मुझको भी तुझसे दूर रहने का
भूल सारी बातें मुझ पर इक़बार यक़ीन तो करो।

गुजारिश है तुमसे ..........................

याद है मुझको गुलबदन तेरी बाहें
सारी गुज़री राते और वह तेरी मसूमियत भरी बातें
मैं ग़मगुस्सार नहीं हूं सच कहता हूं
पूछ अपने नफ़्स से मुझपर इक़बीर यकीन तो करो।

गुजारिश है तुमसे................................

दख़ल दे नहीं सकता कोई तेरे सिवा इस दिल में
कुर्बान है तेरे इश्क पर मेरी ज़िदगी कई
मुझे पता है तुमसे इज़हार नहीं कर पाऊंगा अपने इश़्क का ।
ग़र कर भी लिया दिया तो अंजाम क्या होगा मेरे इश़्क का
यही सोच मैं तुमसे अपने इश़्क का इज़हार नहीं करता हूं
इसमे कोई श़क नहीं कि, तुमसे ही इश़्क करता हूं
मै मारा गया हूं तेरे इश़्क में
सच है यह बात हंसी में सही
पर मेरे बात पर इक बार यक़ीन तो करों
गुज़ारिश है तुमसे.............................. 2
आशीष कुमार शुक्ला
Ashish kumar shukla

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