भ्रमित युवा शक्ति कैसे संभव राष्ट्र निर्माण
सोशल मीडिया विशेष
“युवा शक्ति
के दम पर हम भारत को विकशित राष्ट्र बनाने का सपना सजोग रहे हैं, लेकिन आज इसकी
बुनियाद खोखली होती जा रही है। अतः यह आवश्यक है कि राह भटक रही हमारी युवा शक्ति को
समय रहते नियंत्रित किया जाये अगर ये नियंत्रित न हुई तो लोकतान्त्रिक व्यवस्था में
ये विनाश का सबसे बड़ा कारक बनेगी। हमें नहीं भूलना चाहिए कि, किसी भी देश की शक्ति
उस देश की युवा में निहित होती है।” 
आशीष कुमार शुक्ला
          अक्सर युवावर्ग में ऐसा
देखा जाता है, कि वह सोशल मीडिया पर ज्यादा से ज्यादा व्यस्त रहता है। दोस्तों से
गप्पें लड़ाने में, लड़कियों को पटाने की कोशिश में, या फिर गेमिंग और ऐसी हरकतों में जिनसे उनके करियर या जिंदगी में कोई
फायदा तो नहीं ही हो सकता। ऐसे चंद, बिरले ही युवा हैं,
जिनकी सोशल मीडिया पर सक्रियता उनके लिए किसी तरह से लाभकारी साबित
हुई हो, चाहे काम-काज या नौकरी के सिलसिले में या फिर निजी
जीवन के किसी पहलू में। ऐसे उदाहरण कम ही मिलते हैं, जिनमें
सोशल मीडिया के अधिकाधिक इस्तेमाल से किसी व्यक्ति का भला हुआ हो।  सोशल मीडिया पर दोस्ती बढ़ाकर लड़कियों को ठगे
जाने के मामले रोज ही सामने आते हैं। दो-चार दिल सोशल मीडिया के जरिए भले ही आपस
में जुड़ गए हों, लेकिन न जाने कितने ही दिल टूटने की खबरें
अक्सर आती रहती हैं। कई मेट्रोमोलियल साइट्स पर अपना प्रोफाइल कुछ और बनाते हैं और
होते कुछ और हैं। आये दिन इस प्रकार से ठगे जाने की शिकायतें आती रहती हैं। कई ऐसी
घटनाएँ हैं जहाँ हम स्वयं को अच्छा और धनी दिखाने के चक्कर में लोगों की महँगी
गाडि़यों के सामने अपनी सेल्फी लेकर डाल देते हैं और सामने वाले का नियत बदल जाता
है तथा अपहरण और फिरौती जैसी घटनाएँ सामने आ जाती हैं। गुजरात की घटना प्रमाण है
इसका। अतः युवावर्ग को सावधानी के साथ सोशल मीडिया का उपयोग करना चाहिए। अगर हम
लंदन, न्यूयार्क या कनाडा छुट्टियाँ मनाने जा रहे हैं तो
हमें इसे अपडेट करते समय भी सावधान रहना चाहिए। सोशल मीडिया के इस्तेमाल के कई
आयाम हैं।  सोशल मीडिया ब्रांड प्रमोशन का
जरिया बन गया है। पेज बनाकर उसे लाइक करने और करवाने की कोशिशें प्रमोशन के फंडे
में शामिल हो गई हैं। राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के लिए भी सोशल मीडिया
अपनी बात लोगों के सामने लाने का एक सशक्त औजार बन गया है और सिर्फ अपनी बात सामने
रखने का ही नहीं, उस पर फीडबैक हासिल करने का भी ये एक बड़ा
जरिया है, क्योंकि किसी पक्ष की ओर से कोई बात फेसबुक या
ट्विटर पर कही जाती है तो जल्द से जल्द उस पर प्रतिक्रियाएँ आनी शुरु हो जाती हैं।
वैसे कई बार स्वयं को असहाय अनुभव करने पर ये सोशल साइट्स हमारे सहयोगी सिद्ध होते
हैं। युवाओं से मैं बतना चाहूँगा कि आज हम लाख प्रयास करें तब भी सोशल मीडिया से
दूर नहीं रह सकते। रहना भी नहीं चाहिए। समय के साथ गतिशील रहना ही एक जागरूक युवा
की पहचान है। बस हमें थोड़ा सावधान रहना चाहिए जिससे कि कोई हमें धोखा न दे सके।
हमें ध्यान रखना चाहिए कि, सोशल मीडिया पर आकर्षक दिखने वाला प्रोफाइल कोई आवश्यक
नहीं कि वास्तव में वैसा ही  हो। हमें सोशल
साइट्स का उपयोग अपने या किसी और के जीवन का बंटाधार करने में नहीं, उसे सँवारने में लगाना चाहिए। 
             सोशल साइटों पर जाति, धर्म और राष्ट्रीयता को
लेकर एक दूसरे की अलोचना करते आये हैं, जो कि एक खतरनाक स्थिति की तरफ इशारा करती है। आलोचना अगर वैचारिक मतभेदों
पर आधरित हो ठीक है पर अगर आलोचना का उद्देश्य किसी धर्म, वर्ग
को नीचा दिखाना, उसे अपमानित करना है, तो निश्चित तौर पर ये चिंता
का विषय है। अगर ऐसी ही हमारी युवा शक्ति पथ भ्रमित होती रही तो विकसित भारत का हमारा
सपना कैसे पूरा होगा? राष्ट्र को समर्थ और सशक्त कैसे बनाया
जा सकेगा है।? विकसित भारत का सपना तो तभी पूरा होगा जब युवा
शक्ति संगठित होकर राष्ट्र के विकास में योगदान दें।  आज वर्तमान समय में तो युवा शक्ति का वो बिखरा स्वरुप
प्रदर्शित हो रहा है जिसके मूल में राष्ट्रीय, जातीय और धार्मिक
मुद्दे ज्यादा पनपते हैं।  युवा शक्ति के दम
पर हम विकसित भारत का सपना देख रहे हैं, लेकिन आज इसकी बुनियाद ही खोखली होती जा
रही है।  अतः यह आवश्यक है कि राह भटक रही हमारी
युवा शक्ति को समय रहते नियंत्रित किया जाये अगर ये नियंत्रित न हुई तो लोकतान्त्रिक
व्यवस्था में ये विनाश का सबसे बड़ा कारक बनेगी। हमें नहीं भूलना चाहिए कि, किसी भी
देश की शक्ति उस देश की युवा में निहित होती है।  क्योंकि वो युवा ही है जो देश के लिए बलिदान दे सकता है, देश की समस्याओं के बारे में चिंतन करके उसका
समाधान निकालता है, जिसमे जोश भरा रहता है और प्रेरक इतिहास रचने
में समर्थ होता है। अगर देश का युवा भ्रमित रहेगा तो वह राष्ट्र के लिए क्या सोच
पाएगा। देश की युवाओं को ऐसे भ्रमित करने का, उनके दिमाग को कुंद
करने का काम भारत में करीब पिछले 20-25 वर्षो से विदेशी ताकतों
के द्वारा चलया जा रहा हमें अगर राष्ट्र का सही निर्माण करना है तो इन ताकतों से
लड़ना ही होगा । तभी भारत एक शक्तशाली राष्ट्र के रूप में उभर पाएगा।  (यह लेखक के अपने विचार हैं)
 
 
 
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