Exclusive Interview happu singh Bhabhi ji Ghar Pur Hai
“भाभी जी घर पर हैं” अब शायद ही कोई ऐसा हो जिसे  पता न हो, अजी सीरियल का नाम।  तुम तो भोत बड़ी चिरांद हो यार… अरे दादा, लाओ कछु न्यौछावर कर देयो” ये चंद ऐसे डायलॉग हैं जो, बच्चे-बच्चे के जुबान पर हैं।
उन्नाव से तालुकात रखने वाले “भाभी जी घर पर हैं” सीरियल में इन्ही डायलॉगों से
लोगों के बीच अपनी (हप्पू सिंह दरोगा जी) के तौर पर विशेष पहचान बनाने वाले
अभिनेता योगेश त्रिपाठी से आशीष कुमार शुक्ला से बातचीत के संपादित अंश।  
आपने
अपनी शिक्षा दीक्षा का कहाँ से प्राप्त की?
           मैँ झांसी के हमीरपुर जिले के राठ कस्बे से
तालुकात रखने वाला हूँ।  मेरे    
परिवार
मेँ तकरीबन सभी सदस्य अध्यापक हैं। जिसके कारण घर पर भी पढ़ाई का माहौल हमेशा रहा।
मैँने  बी.एससी  मैथमैटिक्स से ग्रेजुएशन किया लेकिन मेरी रुचि
इन विषयों में  नहीँ थी। मै बचपन से ही
एक्टर बनना चाहता था। पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं लखनऊ गया। और फिर वहां कई रंगमंच
के कार्यक्रमों के साथ-साथ तमाम तरह के स्टेज शो का हिस्सा बना। मुझे हमेशा से
आर्ट का शौक रहा है मैं हमेशा कुछ अलग करने की सोचता रहता था। अपने परिवार की तरह मैं
अध्यापक बनकर नहीं रहना चाहता था। इसलिए मैंने एक्टिंग में आने का फैसला कर लिया। 
लखनऊ
से मुंबई तक का सफर कैसा रहा। ?
           लखनऊ में तकरीबन 5 साल रंगमंच के साथ जुड़कर अथक मेहनत
की। रंगमंच, ड्रामा, स्टेज शो और तमाम तरह के अभिनय में मैने लगातार भाग लिया।
यहां से मैनें एक्टिंग को जाना और काफी कुछ सीखा। रंगमंच से जुड़कर मुझे काफी कुछ
सीखने को मिला। फिर मुझे लगा की अब कुछ आगे बढ़ना चाहिए और मैं 16 जुलाई 2005 मुंबई आ गया। 
मुंबई
आने के बाद किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ा। ? 
           मुंबई आने के बाद मुझे यह पता ही नहीँ चला, कि
मेरे दो साल कैसे बीत गए। मैं लगातार प्रोडक्शन हाउसों का दिन-बा दिन चक्कर
काटता रहा। ऑडिशन देता रहा ऑडिशन के लिए बहुत चक्कर खाने पढ़ते थे पता करना पड़ता
था कि, कहाँ पर ऑडिशन हो रहा है कई बार तो ऐसा होता था कि, हमें घुसने को भी नहीँ
मिलता था और तब हम अपनी फोटो और जानकारियाँ वहाँ की सिक्योरिटी गार्ड को देकर वापस
चले आते थे। यह संघर्ष दो सालों तक चला इसके बाद मुझे एक विज्ञापन  “क्लोर मेंट कबड्डी”  करने का मौंका मिला यह विज्ञापन
काफी ज्यादा चर्चित हुआ। इस विज्ञापन के बाद मेरी जिंदगी मेँ एक व्यापक बदलाव आया
लोग मुझे कुछ हद तक जानने लगे थे, और उसके बाद मुझे कई जगहों से काम भी मिलने लगे
थे मैँ कई तरह के विज्ञापन करता रहा लगातार मैने तकरीबन 40 से
50 विज्ञापन किये। 
एक्टिंग
के लिए आपको परिवार का कितना समर्थन मिला?
           चूंकि मेरे परिवार में सब अध्यापक हैं इसलिए पापा
चाहते थे की मैं भी अध्यापक बनूं, लेकिन मैं अध्यापक नहीं बनना चाहता था कुछ अलग
कर गुजरने की मेरी चाहत थी। शुरू में मुझे परिवार समर्थन बहुत कम मिला, लेकिन पापा
ने मेरी मेहनत और लगन को देखते हुए मेरा पूरा स्पोर्ट करने लगे।  मैं असल जिंदगीं में अध्यापक तो नहीं बन सका,  लेकिन एक्टिंग के जरिए मैंने पापा के इस ख्वाब
को भी पूरा कर दिया।  मुझे  याद है जब मैं “बालिका वधू” सीरियल मैँ एक अध्यापक का किरदार कर रहा था तब पापा काफी खुश हुए थे। तकरीबन
छह महीने तक मैंने यह किरदार किया।
अपने
आपको साबित करने का मौका कब मिला।?
      एक प्रोग्राम आता था एफ.आई.आर जिसके डायरेक्टर
ने मुझे अपने अंदर के कला को प्रदर्शित करने का मौका दिया। मुझे प्रोग्राम में एक
फनी डॉक्टर का रोल करने के लिए मिला। और मैंने बहुत अच्छा किया मेरे इस एक एपिसोड
से वह काफी प्रभावित हुए और मुझे नियमित इस प्रोग्राम का हिस्सा बना लिया।
मैं  इस प्रोग्राम में तरह- तरह का अभिनय
करता रहा जिसे लोगों ने बेहद पसंद किया। इसके बाद मेरा प्रोडक्शन हाउस मेँ बाकायदा
एग्रीमेंट हो गया और मैं प्रोडक्शन हाउस से जुड़ गया।   एफ.आई.आर
 प्रोग्राम से मुझे एक नई पहचान मिली
तकरीबन तीन चार सालों तक मैँ लगातार इस प्रोग्राम में काम करता रहा। इसके बाद मुझे
“भाभी जी घर पर हैं” मेँ काम करने का ऑफर आया और मैं
इस सीरियल से जुड़ गया। 
आपको
लगता है कि, “भाभी जी घर पर हैं” सीरियल से आपके जीवन मेँ एक व्यापक बदलाव आएगा और
यह प्रोग्राम आपके जीवन मेँ मील का पत्थर साबित होगा?
“भाभी जी घर पर हैं” सीरियल से मुझे ना सिर्फ एक नई
पहचान मिली है, बल्कि इसमें कोई शक नहीं है मेरे करियर के लिए यह बहुत अच्छा है,
इससे पहले जब मैंने एफ.आई.आर में तकरीबन 700 एपिसोड किया तो मेरा रोल तरह- तरह का
होता था, लेकिन जब से मैँ  “भाभी जी घर पर हैं” सीरियल में हप्पू सिंह (दरोगा जी)  का एक रोचक किरदार कर रहा हूँ, यह एक नियमित
किरदार है इसलिए मैं काफी खुश हूं और लोग भी मेरे इस किरदार को खूब पसंद कर रहे
हैं, दरोगा जी के इस किरदार को लोग इतना पसंद करेंगे मैंने सोचा भी नहीँ था।
हप्पू
सिंह जी असल जिंदगी मेँ कैसे हैं।?
           मैँ वाकई एक मजेदार इंसान हूँ, लोगोँ को
हंसाना और लोगोँ से अच्छा व्यवहार करना मुझे बहुत अच्छा लगता है। असल जिंदगी मेँ
मेरा व्यवहार बहुत सरल है लेकिन मैँ हप्पू सिंह की तरह बिलकुल ही दिखता।  मेँ काफी स्मार्ट हूँ और हप्पू सिंह की तरह लचर
भी नहीं हूं यह किरदार मुझे करने मेँ बहुत मजा आ रहा है।
आप
किस तरह के अभिनय को करना ज्यादा पसंद करते   
 हैँ? 
           मैँ  ऐसा
अभिनय करना चाहता हूं जो पूरी जिंदगी मेरे साथ रहे जिससे मेरी एक अलग पहचान बन सके।
जैसे आज गुलशन ग्रोवर, परेश रावल, और कादर खान को लोग एक अलग एक्टर के रूप
में मेँ देखते हैं मैं भी ऐसा दिखना चाहता हूं। मैँ चाहता हूँ कि मेरे अभिनय किसी
एक किरदार तक सीमित न रहे। मैँ किसी एक किरदार को पसंद नहीं करता हूँ। तरह- तरह की
किरदार को करना चाहता हूं। मैं हमेशा अपने अभिनय को लेकर गंभीर रहता हूं और अभिनय
पर पूरा ध्यान देता हूं। मुझे परेश रावल, गुलशन ग्रोवर, कादर खान बहुत ही पसंद हैँ
इनके रोल को मैँ बहुत ही गंभीरता से देखता हूँ, और पूरा मजा लेता हूँ मैँ इनसे
काफी कुछ सीखता रहता हूँ। 
आप
अभिनय को किस नजरिए से देखते हैँ?
           
अभिनय करना मतलब किसी दिए गये किरदार को अपनी असल जिंदगी में महसूस करना।  जब आप किरदार को सही तरह महसूस करते हैं तभी आप
उसे उसी ढ़ग में उसे प्रदर्शित कर सकते हैं। 
किरदार पर आपकी पूरी पकड़ होनी चाहिए। किसी भी किरदार को बेहद गंभीरता
पूर्वक करना चाहिए। मैँ समझता हूँ एक्टिंग करना आसान बिलकुल नहीँ है, लेकिन यह
कठिन भी नहीँ है। आप डायरेक्टर के ऊपर निर्भर रहें लेकिन अगर आपको कोई संकोच लगे
तो उसे जरूर शेयर करें। एक्टिंग का मतलब होता है लोगोँ को अपने आप से जोड़ना आप
जितने हद तक यह कर पाते हैं आप उतने अच्छे एक्टर हैं। 
मुंबई
मेँ हर चौथा व्यक्ति हीरो बनने के लिए जाता है, क्या आपको लगता है, कि यह मंजिल
आसान है।? आप फिल्म जगत में कदम रखने वाले लोगों को क्या सुझाव देगें। 
           देखिए मैँ जहाँ तक जानता हूँ, कुछ भी नामुमकिन
नहीँ होता, लेकिन यहाँ लगभग लाखों लोगोँ मेँ  एकत दो लोगोँ को ही मौका मिल पाता है।  मैंने अपने मेहनत और लगन के कारण यह मुकाम हासिल
किया है। यहां सब कुछ दिखावा है, छलवा है जो दिखता है वह होता नहीँ और जो होता है
वो दिखता नहीँ एक्टिंग मेँ आने के लिए आपको अपनी कमर कसनी पड़ेगी और यह निश्चय
करना पड़ेगा कि, आप एक्टिंग के बगैर जी नहीँ सकते। अगर आपके अंदर एक्टिंग की एक आग
जल रही है तभी इस दुनियां में कदम रखने की सोचें। 
दूर से देखने में यह बहुत आसन लगात है लेकिन ऐसा नहीं है। लेकिन आगर आपके
अंदर जुनून और कुछ कर गुजरने का  दृढ़
संकल्प हो तो सब कुछ संभव है। 
 



 
 
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