Jan 17, 2015

दिल्ली समय हिन्दी समाचार चैनल के संपादक मनोज मनू जी से भेटर्वाता के महत्वपूर्ण तथ्य। 

आशीष शुक्ला-  
1. आपने अपनी शिक्षा कहां से प्राप्त की?

उत्तर-  मैंने अपना स्नातक जिवाजी विश्वविद्दलय ग्वालिर से की, यही से मैंने वॉयलोजी से वीएससी की उपाधि पाप्त की मैंने पत्रकिरिता के क्षेत्र मे कोई पढ़ाई नही की

2. मीड़िया में आपके करियर की शुरुआत कैसे हुई। यह एक संयोग था या आपने इस क्षेत्र ही करियर बनाने का फैसला किया था?

उत्तर- मेंरे मीड़िया करियर की शुरूआत बहुत ही रोचक है, मैं अखबार में कार्टूनिस्ट था। मैं पहले अखबार के लिए कार्य करता था इलेक्टॉनिक मीड़िय में आने से पहले मैंने कई अखबारो में काम किया। मैं बीएससी प्रथम वर्ष से ही मीड़िया में किसी ना किसी माध्यम से जुड़ा रहा मीड़िया में आने का मेरा भरपूर मन रहा क्योकि इसी से जुड़कर मैं समाज को शायद बहुत करीब से देख सकता था।

3. आपको पत्रकारिता में किन-किन कठिनाइयो का सामना करना पड़ा अपनी संघर्ष यात्रा के बारे में बताए

उत्तर- मैने कभी अपने जीवन में संघर्ष नही किया और मुझे किसी भी परेशानियो का सामना बिलकुल नही करना पड़ा पर मैं अपने कार्य के प्रति हमेशा सचेत रहता थाऔर हर एक कार्य को सूसंगठित ढ़ग से करना मेरी आदत थी कभी मैने पीछे मुड़कर नही देखा बस करता गया शायद किसमत नें भी मेंरा भरपूर साथ दिया।

4. आप रिपेर्टिंग और एंकरिग में से किसें बेहतर मानते हैं और क्यो?

उत्तर- दोनो माध्यम का अपना अपना महत्व है, पर रिपोर्टर अगर एंकर बनता है तो ज्यादा अच्छा अनुभव होता है, जिससे उसे विशेष फायदे मिलते हैं। इसलिए मैं कहुंगा कि सबसे पहले एक पत्रकार बनना चाहिए इससे हम विशेष लाभ पाप्त कर सकते हैं।

5. प्रिंट और इलेंक्ट्रानिक में से कौन सा माध्यम उपयुक्त है और क्यों?

उत्तर- दोनो माध्यमो का अपना अपना विशेष महत्व है, इनकी अपनी अपनी पहचान है। प्रिंट मीड़िया मे हमे अखबार के माध्यम से दिन में घटित घटनाओं का विवरण प्रस्तुत करते हैं, वही इलेक्टॉंनिक मीड़िया घटना के घटित होने के कुछ चन्द मिनटो में ही चैनल के माध्यम से खबरों को प्रसारित कर देता हैं। यह समय की बचत करता है इसे एक सामान्य व्यक्ति आसानी से समझ सकता है, कही ना कही जनसंचार का बेहतर माध्यम है।

6. पत्रकारिता में आपके प्रेरणा स्रोत कौन हैं। और आपकी कामयाबी का राज क्या है?

उत्तर- मेरे प्रेरणा स्रोत कोई नही है, मैंने खुद अपने बलबूतो पर अपनी पहचान मीड़िया में बनाई है। जो कुछ किया खुद किया मैं कभी दूसरे के सहारे नही रहा जो कुछ हूँ खुद की की मेहनत की वजह से हूँ।  

7. क्या आज का मीड़िया बाजारवाद की दौंड़ में अपनें तय नैंतिक सिद्धाथो को भूल चुका है?

उत्तर- अखबारो में टीवी में बाजारवाद का दबाव होता है। मीड़िय अपने कार्य को करना बाखूबी जानता है। क्या करना है क्या यह नही यह इन्हे बतौर पता है, किसी को बताने की जरुरत नही है। मीड़िया के लिए विज्ञापन का होना बहोत जरुरी होता है। ऐसा नही है कि अपने सिद्धातो को भूल चुका है, यह आज भी एक वाच डाग की तरह अपने कार्य को कर रहा है।  

8. चौथें स्तभ के रुप में प्रतिष्ठित हमारा मीड़िया क्या अपने पेशे के साध न्याय कर पा रहा हैं?

उत्तर- यह एक संक्रमण काल है युक्ति में समाज में देश में राजनीति में नेताओ में परिस्थिति में मथन चल रहा है। जिसमे से विष भी निकलेगा और अमृति भी। मीड़िया देश मे चल रही घटना का विवरण पेश करती है, कही ना कही यह सत-प्रतिशत न्याय नही कर पा रही। यह संक्रमण काल है कोई भी अपने मार्ग से वंछित हो सकता हैं।

9. टीवी माध्यम में नाटकीयता बहुत बढ़ गई है, इसपर आपका क्या विचार है?

उत्तर- लोग जो देखना चाहते हैं हम वही दिखाते हैं, नाटकीयता बढ़ी जरुर है पर इसका कई तरह से उपयोग किया जा सकता है। आज जिस तरह अच्छे अच्छे प्रोग्राम चैनलों पर दिखाये जाते हैं इसका मुख्य मकसद है, लोगो को जागरुक करने का। प्रोग्राम के माध्यम से लोगो तक बहोत सारी जानकारी पहुचाई जाती है, हम नाटक के माध्यम से सच्चाई को काफी हद तक दिखा सकते हैं। यही कारणा हैं कि चैनलों पर नाटकीयता को कफी महत्व दिया जाता है।

10. मीड़िया में कुछ चुनिदा को ही फॉले-अप दिखाया जाता है ऐसा क्यों?

उत्तर- जो दिखता है वही विकता है जिस चीज को जन्ता देखना चाहती है वही हम दिखाते हैं। जैसे आज नरेंद्र मोदी की रैली में ज्यादा भीड़ होती है, और राहुल में कम यही कारण है। जब तक चैंनल को टीआरपी नही मिलेगी तब तक चैंनल को नही चलाया जा सकता क्योकि जबतक नम्बर्स नही मिलेगे तब तक कुछ नही हो सकता।  चैनल कुछ भी दिखाता है सोच समझ कर दिखाता है। ज्यादा लोग जिस चीज को देखना पसंद करेगें तो चैंनल की टीआरपी बढ़ेगी जो कि चैनल के लिए महत्वपूर्ण है। क्योकि मीड़िया की पूरी टीम इसी पर आधारित है।

11. पत्रकिता के क्षेत्र में कदम रखने वाले विद्दर्थीयो को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?

उत्तर- लगे रहो मुन्ना भाई रास्ता कठिन है पर मंजिल को पाया जा सकता है। लगातार अपने काम के प्रति सचेत रहें आज कम्पटिसन बहोत बढ़ गया है। आपनी पहचान बनाने के लिए खुद आपना इतिहास लिखना होता है। मन का मनोबल उपर रखे अगर आप अच्छा कर रहे हैं तो आपको उसका फल अवश्य मिलेंगा। जितना ज्यादा प्रेक्टिकल कर लोगो उतना ज्यादा अनुभव प्राप्त होगा इसलिए पढ़ई के साथसाथ जितना हो सके इस कार्य से जुड़े पहलुओं पर ध्यान दे टैंलेट की कदर हर जगह है। अगर ऐसा करने में आप संक्षम हैं तो अवश्य ही बहुत आगे तक जाएगें। बस जरुरत है लगे रहने की।   

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