क्या दामिनी को मिला न्याय
 देश को झकझोर देने वाले दिल्ली गैंगरेप की घटना को आज एक साल पूरे हो गए हैं। एक  साल पहले 16 दिसंबर को चलती बस में 23-वर्षीय छात्रा के साथ छह लोगों ने न सिर्फ  गैंगरेप किया था, बल्कि बेहद निर्मम तरीके से उस पर अत्याचार भी किए थे। इसी क्रम  में 23 दिसम्बर 2012 को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जेएस वर्मा की  अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई। कमेटी की सिफारिशों के आधार पर एंटी रेप लॉ बना।  क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट ऑर्डिनेंस 2013 (एंटी रेप लॉ) में दुष्कर्म की परिभाषा भी  बदली। 16 दिसंबर के बाद देशभर में 164 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए गए। घटना के बाद देश  के कई राज्यों में महिला हेल्पलाइन शुरू की गई।
इतने सख्त कानून बनने के बाद भी लोगों में बिल्कुल भी खौफ पैदा नहीं हुआ। सबसे बड़ी चिंताजनक बात यह है कि महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न के मामलों में पांच गुना बढोतरी दर्ज की गई है। नवंबर 2013 तक पिछले वर्ष के 625 मामलों की तुलना में 3237 मामले दर्ज किए गए। महिलाओं का शीलभंग करने संबंधी मामलों में भी बढोतरी हुई है। पिछले वर्ष के 165 मामलों की तुलना में इस वर्ष 852 मामले दर्ज किए गए।
16 दिसंबर 2012 की घटना और पुलिस द्वारा उठाए गए सख्त कदमों के बावजूद राजधानी  में रेप के मामलों में लगाम तो नहीं लग पाई लेकिन उल्टे दरिंदों की हैवानियत और बढ़  गई। इतने सख्त कानून बनने के बाद भी लोगों में बिल्कुल भी खौफ पैदा नहीं हुआ। सबसे बड़ी चिंताजनक बात यह है कि महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न के मामलों में पांच गुना बढोतरी दर्ज की गई है। नवंबर 2013 तक पिछले वर्ष के 625 मामलों की तुलना में 3237 मामले दर्ज किए गए। महिलाओं का शीलभंग करने संबंधी मामलों में भी बढोतरी हुई है। पिछले वर्ष के 165 मामलों की तुलना में इस वर्ष 852 मामले दर्ज किए गए।
इन सब मुद्दो से हट कर बात करे ये विचार करने लायक है कि क्या दामिनी को न्याय मिला ।
यकीन नही होता कि क्या ये वही भारत देश हैं जिसे लोग संस्कृतिक और सभ्यता के लिए जाना जाता हैं।
आखिर कब तक ऐसा चलता रहेंगा सब कही ना कही बस सरकार को ही दोश देते रहते हैं लेकिन उससे क्या हमें समाधान मिल पायेगा ।
मैं तो समझता हूं कि कही न कही लोगो की सोच का फर्क हैं। अगर कुछ बदलने लायक है तो वो है हमारी सोच
जब तक हम अपनी सोच को नही बदलते तब तक शायद भारत की तसवीर नही नही बदल सकती ।
गांधी जी ने कहा था कि मैं भारत को आजाद तब मानूगा । जब हमारे देश की स्त्री बारह बजे रात को अकेले सडक पर निकल कर कहेंगी की हम आजाद हमें कोई भय नही हैं । वन्दें मातरम्...........आशीष शुक्ला
 
 
 
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