Dec 14, 2014

कश्मीर की वादियां.....

क्या मस्तियाँ चमन मे है जोश-ए-बहार से, हर शाख-ए-गुल है हाथ में सागर लिए हुए। हिमालय की गोद में बसा जम्मू और कश्मीर अपनी खूबसूरती के लिए विश्व विख्यात है। जहां सुबह से शाम तक रौनक नजर आती है वहीं डल झील कश्मीर की खूबसूरती बढ़ाती है, केवल प्राकृतिक सौंदर्य ही नहीं वास्तु विरासत की दृष्टि से भी खूब समृद्ध है कश्मीर।

आशीष शुक्ला  
हर दिल में बसता है कश्मीर, खूबसूरत वादियां, ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, घाटियों के बीच में बहती झीलें, झाड़ियों से भरे जंगल, हर किसी को आकर्षित करते हैं। कश्मीर की शीतल आबोहवा, हरे-भरे मैदान और खूबसूरत पहाड़ियों की हसीन वादियों में प्रकृति की अद्भुत चित्रकारी अनुपम सौंदर्य की छटा बिखेरती है। यही वजह है कि कश्मीर हर दिल में बसता है और सैलानियों को बारबार बुलाता है। धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है तो वह कश्मीर । खूबसूरत वादियां, ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, घाटियों के बीच में बहती झीलें, झाडि़यों से भरे जंगल, फूलों से घिरी पगडंडियां, ऐसा प्रतीत कराती हैं जैसे यह स्वप्निल स्थल हो। खूबसूरत वादियां पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। यहां पूरे साल लाखो पर्यटक घूमने और अपनी छुट्टियां बिताने आते हैं। जम्मू-कश्मीर मे कई पर्यटन स्थल हैं लेकिन दुनियाभर में मशहूर पहलगाम, सोनमर्ग, पटनीटौप, गुलमर्ग, लद्दाख और कारगिल जैसी जगहें अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं। डल झील और नागिन झील यहां की खूबसूरती को चार –चाँद लगाती हैं। गुलमर्ग हिमालय पर्वतशृंखला में सब से खूबसूरत स्थान है। इस की ऊंचाई 2730 मीटर है और यह ऊंचे-ऊंचे कोनिफर वृक्षों से ढका हुआ है। यह गोल्फ की पहाडि़यों और गोल्फ कोर्स के साथ सुंदर नावों के लिए मशहूर है। सोनमर्ग जम्मूकश्मीर का सब से प्रसिद्ध हिल रिजोर्ट है। इसे जम्मूकश्मीर का दिल कहा जाता है। समुद्र तल से लगभग 2,730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सोनमर्ग काफी सुंदर है। यह पाइन पेड़ों से घिरा हुआ है। पहलगाम इस के आसपास स्थित आरू घाटी तथा बेताब घाटी यहां की खूबसूरती बढ़ती है। श्रीनगर जम्मूकश्मीर राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी है। लद्दाख दुनिया की सब से ऊंची पर्वत शृंखलाओं से घिरा हुआ है इस के उत्तर में काराकोरम और दक्षिण में हिमालय पर्वत है। लद्दाख में कई प्राचीन मठ, महल और ट्रैकिंग की जगहें हैं। भद्रवाह जिसे मिनी कश्मीर के रूप में जाना जाता है। श्रीनगर से कुछ दूर एक बहुत पुराना मार्तंण्ड (सूर्य) मन्दिर है। कुछ और दूर अनन्तनाग ज़िले में अमरनाथ  की गुफ़ा है, श्रीनगर से तीस किलोमीटर दूर मुस्लिम सूफ़ी संत शेख़ नूरुद्दिन वली की दरगाह चरार-ए-शरीफ़ है। यहां कई सुंदर मस्जिदें हैं। हजरत बल  यहां का महत्वपूर्ण धर्मस्थल है। यहां हजरत मोहम्मद का बाल संग्रहीत होने के कारण मुसलिम समुदाय के लिए यह अत्यंत पवित्र स्थान है। पृष्ठभूमि में हिमशिखरों की भव्य कतार साफ नजर आती है। शंकराचार्य मंदिर जो पर्वत पर स्थित है। इसे तख्त-ए-सुलेमन के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर कश्मीर स्थित सबसे पुराने मंदिरों में से एक है मंदिर की वास्तुकला भी काफी खूबसूरत है। जामा मस्जिद कश्मीर की सबसे पुरानी और बड़ी मस्जिदों में से है मस्जिद की वास्तुकला काफी अदभूत है। हिमालय और पीर पंजाल की बर्फ से ढकी चोटियों के बीच फैली यह घाटी हर मौसम में सैलानियों के लिये एक अनुकूल सैरगाह है, क्योंकि हर मौसम में इसका बदला स्वरूप इसे एक अलग सौन्दर्य प्रदान करता है। कश्मीर कुदरत के द्वारा फरमया गया एक तोहफा है। जो हिन्दुस्तान का एक अभिन्न अंग है, कश्मीर में जन्नत है।
ज्ञान और सत्य में अंतर क्या....?
आशीष शुक्ला
 ज्ञान का स्वरूप : सम्मति, विश्वास है, जब हम किसी धारणा को सुनते हैं या उसका चिंतन करते हैं तो उस सबंध में हमारी वृत्ति इस प्रकार की होती है - हम उसे सत्य स्वीकार करते हैं या उसे असत्य समझकर अस्वीकार करते हैं। सत्य और असत्य में निश्चय नही कर पाते, तो स्वीकृति अस्वीकृति दोनों को विराम में रखते हैं। मनुष्य का लक्ष्य अनंत है, इसकी सिद्धि के लिये अनंतकाल की आवश्यकता है। आत्मा अमर है।
 जर्मनी के प्रसिद्ध  वैज्ञानिक, नीतिशास्त्री एवं दार्शनिक इमानुएल कांट ने अपनी विख्यात पुस्तक "शुद्ध बुद्धि की समालोचना" को इन शब्दों के साथ आरंभ किया है, इस बात में तो संदेह ही नहीं हो सकता कि हमारा सारा ज्ञान अनुभव के साथ आरंभ होता है। क्योंकि यह कैसे संभव है कि बोध शक्ति कुछ करने लगे, सिवाय इसके कि हमारी इंद्रियों को प्रभावित करनेवाले पदार्थ इसे यह क्षमता दें। परंतु यद्यपि हमारा सारा ज्ञान अनुभव के साथ आरंभ होता है, इससे यह निष्कर्ष नहीं निकलता कि सारा ज्ञान अनुभव की ही देन है। कांट ने अनुभव की बनावट में बुद्धि के भागदान पर बल दिया है। ऐसा करने पर भी, उसने आरंभ में कहा कि हमारा विचार प्रकटनों की दुनिया से परे नहीं जा सकता। मनुष्य सारभूत रूप में नैतिक प्राणी है। नीति की माँगें ये हैं- मनुष्य के कर्तव्य हैं, इसलिये उसमें कर्तव्यपालन की क्षमता है। वह स्वाधीन है। नीति की माँग यह है कि सदाचार और सुख संयुक्त हों। ऐसा संयोग हमारे वश में नहीं, परमात्मा ही ऐसा संयोग करने में समर्थ है,परमात्मा का अस्तित्व है। विज्ञानवाद बाह्य जगत् को कल्पना मात्र कहता है, इसके अनुसार सत्ता में चेतनाओं और चेतन अवस्थाओं के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। यदि कोई निर्णय शेष ज्ञान से संसक्त हो सकता है, तो वह सत्य है। यह अविरोधवाद है। आधुनिकवाद काल में अमरीका में व्यवहारवाद का प्रसार हुआ है। इसके अनुसार, जो धारणा व्यवहार में सफल सिद्ध होती है, वह सत्य है। सत्य कोई स्थायी वस्तु नहीं, जिसे हम देखते हैं, यह बनता है। ज्ञान के चार प्रत्यय हैं- आलंबन, समनंतर, अधिपति और सहकारी। बाह्य वस्तु ज्ञान का आलंबन कारण है। मानसिक आकृतियाँ उन्हीं से निर्मित होती हैं। ज्ञान के अव्यवहित पूर्ववर्ती मानसिक अवस्था से उत्पन्न चेतना समनंतर कारण है। इसके बिना ज्ञान की प्रतीति हो ही नहीं सकती है। प्लेटो ने अपना मत संवादों में व्यक्त किया है ज्ञानमीमांसा में विवेचन का विषय वैयक्तिक चेतना नहीं, अपितु सामाजिक चेतना बन जाती है। ज्ञान का अपना अस्तित्व तो असंदिग्ध है। ज्ञान का विषय ज्ञान से भिन्न है। धार्मिक विश्वासों पर जमें रहने के लिये मनुष्य हर प्रकार का कष्ट सहन कर लेता है। विश्वास और सम्मति दोनों वैयक्तिक कृतियाँ हैं, ज्ञान में यह परिसीमन नहीं होता। ज्ञान में संमति की आत्मपरकता का स्थान वस्तुपरकता ले लेती है। अनुभववाद के अनुसार सारा ज्ञान अंत में प्रभावों और उनके चित्रों से बनता है। प्रभाव में गुणबोध और वस्तुवाद का भेद कर सकते हैं, चित्र में प्रतिबिंब और प्रत्यय का भेद होता है। वास्तववाद के दो रूप हैं- साक्षातात्मक वास्तववाद और प्रतिबिंबात्मक वास्तववाद। पहले रूप में भ्रांति का अस्तित्व समस्या बन जाता है, दूसरे रूप में सत्य ज्ञान का समाधान नहीं होता। विज्ञानवाद अंदर और बाहर के भेद को समाप्त कर देता है।

Dec 13, 2014



मेरी द्वारा लिखी गयी पहली कविता.....
सोमवार, 9 दिसम्बर 2013
ये है जिंदगी……….ये है जिंदगी
हसते रहना है जिंदगी, खुद को पाना है जिदगी
मौसम से सुहाना है जिंदगी, अच्छा बुरा दिखाना है जिंदगी
कभी खुशी कभी गम ये फसाना है जिंदगी .......
ख्वाबो को पाना है जिंदगी, कर्तव्य कों निभाना है जिंदगी
कभी खुश कर जाती है जिंदगी, कभी रुला जाती है जिंदगी
ये फसाना हैं जिंदगी..ये फसाना है जिंदगी
खुद को दिखाना है जिंदगी, खुद को छिपाना है जिंदगी
सब कुछ लाती है जिंदगी, सब कुछ ले जाती है जिंदगी
कभी आसमा पर चढ़ाती है जिंदगी, कभी ज़मी पर गिराती है जिंदगी
फूलो सी खिल जाती है जिंदगी, कभी झार बन जाती है जिंदगी
क्या कुछ नही कराती है जिंदगी, अच्छे-अच्छे को सबक सिखाती है जिंदगी
ये फसाना हैं जिंदगी................2
मौसम की तरह बदल जाती है जिंदगी, पत्तो की तरह बिखर जाती हैं जिंदगी
सब कुछ कराती है जिंदगी, मेरे दोस्त मुड़ कर देखो बुलाती हैं जिंदगी
संर्घष ही है जिंदगी .....ये फसाना है जिंदगी  ....आशीष शुक्ला 

आज तक हिन्दी समाचार चैनल के  वरिष्ट पत्रकार सुप्रतीम बैनर्जी जी से की गयी यादगार भेटवार्ता के कुछ अंश--

प्रश्न : आपने अपनी शिक्षा कहां से पूर्ण की वह अनुभव कैसा था?

उत्तर : मैने अपने शिक्षा की शुरुआत एडीएम सुशायटी स्कूल से की, हाई स्कूल की पाढ़ाई यही से पूरी की और उसके बाद रॉंची से मैने अपना इंटर पास किया फिर रांची विश्वविद्दलय से मैने कामर्स और आर्थशास्त्र के साथ वी ए की उपाधि पाप्त की मैने पत्रकारिता से जुड़ी कोई विशेष पढ़ाई नही की है।
प्रश्न : अपके जीवन मे पत्रकारिता की शुरुआत कैसे हुई और आप एंकर कैसे बने?

उत्तर : मेरे पत्रकारिता की शुरुआत स्कूल के दौर से ही शुरु हो गयी थी जब मै हाई स्कूल मे था, तभी मैं कुछ ऐसे पत्रकारो के बीच आ गया था जो विभिन्न अखबारो मे काम करते थे तब उनको देखकर मन मे एक ललक सी जाग उठी और मेरा मन भी करने लगा की मुझे भी पत्रकार बनना चाहिए। मैने सोचा की अगर मै पत्रकार बनूगा तो हर तरह के समाज से मिलने का मुझे आवसर प्राप्त होगा यही सब सोचकर मै पत्रकारिता के तरफ बढ़ता गया।  मैं कुछ लेख लिखता था पत्रकारो से अच्छी बनती थी तो वह मेरे लेख को अखबारो मे छपवा दिया करते थे, इससे मुझे हौसला मिलता रहा। मैने अपने जीवन मे पत्रकार के तौर पर अपने जीवन की शुरुआत प्रभात खबर नामक अखबार से की पन्द्रह सालो तक मैंने अलग–अलग अखबारो मे काम किया फिर 2005 मे आज तक से जुड़ा, पहले रिर्पोटिग करता था फिर बाद मे एंकरिग करना भी शुरु कर दिया।

प्रश्न : जीवन में आपके प्रेरणा स्रोत कौन हैं और इस कामयाबी का राज क्या है।?

उत्तर : मैने हर किसी से सीखा और समझा अपने से प्रमुख पत्रकारो से काफी कुछ सीखता रहा जब वह किसी खबरो को लिखते तो उसको समझता और फिर खुद लिखने की कोशिश करता जिनसे मैने कुछ भी सीखा वही मेरे प्रेरणा स्रोत रहे। 

प्रश्न : आप रिपोर्टिग और एंकरिग मे से किसे बेहतर मानते हैं और क्यो?

उत्तर : दोनो का अपना– महत्व है, यह करेने वाले व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह कौन से माध्यम को करना चाहता है।  अगर आप रिर्पोटर होते है तो सारी घटनाओ को आप देखते है, और उनसे वाकिब रहते हैं। जब आप रिर्पोटिंग करते हैं तो आपको मालुम चलता है की खबरे कितनी मुसकिल से मिलती है। परंतु जब आप एंकरिग कर रहे होते हैं तो दुनिया आपको देखती है इस लिहाज से आपको अपनी भाषा पर विशेष ध्यान देना पढता है। एंकरिग मे खबरो की परस्तुति आप कैसे करते हैं यह अत्यत महत्वपर्ण होता है।

प्रशन : अपराध रिपोर्टिग के दौरान किन- किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

उत्तर : आप अगर किसी राजनीतिक प्रेंस कॉफ्रेस में जाते है लोग आपका स्वागत करते। परंतु जब आप अपराध रिर्पोटिंग करने के लिए कही जाते है तो वहा पहले से ही मातम छाया होता है, वहा ना तो आपका स्वागत करता है और ना ही किसी तरह की इज्जत, बल्कि लोग आपको देखकर काफी गुस्से मे हो जाते हैं। कि हमारे यहा मताम छाया हुआ है और यह हमारा तमासा बनाने के लिए आया है। उस समय आपको तमाम दिक्कतो का सामना करना पडता है, लोग गलिया भी दे सकते और जाने के लिए भी कह सकते हैं। तब आप लोगो को कैसे समझाते हो  यह आप रप निर्भर करता है अपराध रिर्पोटिग करते हुए वेहद धैर्य रखना होता है।

प्रश्न : अपने पत्रकारिता जीवन की ऐसी किसी यादगार घटना या अनुभव के बारे मे बताएं जिसे बहोत सराहा गया हो या जिसे आप अपने जीवन में मील का पत्थर मानते हो ?

उत्तरः जब मै अमर उजाला मे था तब कि यह घटना है। पहले तशकर लोग
असलील फिल्मो के सीडीयो की तस्करी दिल्ली और लुधियान के बीच करते थे, उसमे वह रेल के ड्राइवर से सेटिंग करके उन सीडियो की तसकरी करते थे।  जिसके कारण पुलिस उन्हे पकड़ने मे नाकाम हो जाती, वॉस ने मुझे इस पर खबर लाने के लिए कहा, मैं लुधियाना गया और काफी मसक्कत के बाद उन तसकरो तक पहुचां फिर मैने उनका पीछा करना शुरु किया ड्राइबर को सीडी देते हुए हमने कुछ फोटो उतारी और फिर अखबार मे छापा गया इस स्टोरी को लोगो ने बहोत सराहा था।

प्रश्न : अपराध समाचारो की दुनिया मे दिन-रात व्यस्त रहने वाले एंकर और रिपोर्टर क्या अपने परिवार के लिए समय निकाल पाते हैं?

उत्तरः मुशकिल होता है, पर घर परिवार को भी समय देन होता है। अपराध रिर्पोटिग मे कई  
दिनो तक लगाकर व्यस्त रहना भी पड़ जाता है। परंतु मै घर परिववार का बराबर ध्यान रखता हूं और कोशिस करता हूं की समय दे पाऊ। 

प्रश्न : माना जाता है कि देश के अन्य राज्यो के मुकाबले एनसीआर मे होने वाले अपराध के समाचारो की अधिक प्राथमिकता मिलती है ऐसा क्यो?

उत्तर : दिल्ली से जुडी घटनाओ को लोग देखना पसंद करते हैं, तामाम राज्यो में बैठा व्यक्ति दिल्ली की खबरो को देखना पसंद करता है। इस लिए चैनलो पर दिल्ली से जुड़ी  खबरे ज्यादा दिखाई जाती है। यहा की खबरो को दिखाने से टीआरपी ज्यादा मिलती है। दिखाने का यह भी एक कारण है। 

प्रश्न : लोग कहते हैं कि टीवी पर अपराध दिखाने से जागरुकता कम फैलती है और अपराध अधिक बढ़ता है इसपर आपका क्या कहना है?

उत्तरः ऐसा नही है कि खबरे दिखाने मात्र से अपराध बढता है। लोगो का अपना– अपना नजरिया है, हम कई तरह से लोगो को अपराध से जुडी घटनाओ को दिखाकर सजग– सतर्क करते है। लोग हमारे द्वारा दिखाये गये खबरो से काफी कुछ नसीहत लेते हैं।

प्रश्न : हमारे देश मे वक्त– बेवक्त अपराध होते हैं इसपर लम्बे समय तक रिपोर्टिग और एंकरिग करना मुशकिल काम है आप कैसे कर लेते हैं ?

उत्तर :  हमारे साथ हमारी पूरी टीम होती है और हर कोई अपना– अपना काम करता है हमे अपराध रिर्पोटिंग करते समय ब्रेक भी मिलता है, ऐसा जरुर होता कभी– कभी खबर पर ज्याद समय तक काम करना पडता है। पर आप पत्रकारिता मे घड़ी देखकर काम नही कर सकते। और बात अपने पैशन की भी होती है।

प्रश्न : आज के अधिकांश विद्धी टीवी रिपोर्टिर या एंकर बनना चाहते हैं इसके लिए उन्हे क्या तैयारी करनी चाहिए?

उत्तर : जिस काम को करने के लिए सोच लिया है, उस काम के पीछे जी जान लगाकर पड जावो किसी भी तरह की गुंजाइस मत छोड़ो। एक बात और मै कहना चाहुगां कि जो काम मिले उसे जो काम मिले उसे जिम्मेदारी पूर्वक करो।

प्रश्न : अपराध पत्रकारिता के क्षेत्र मे अपना करियर बनाने की इच्छा रखने वाले विद्दथीयो को आप क्या सलाह देना चाहेंगे?


उत्तर : अखबार नियमित पढे, टीवी पर खबरो को देखे, अपने आपको हमेसा खबरो से अपड़ेट रखे, अपने आपसे ज्यादा से ज्यादा सीखने की कोशिस करे।