Dec 7, 2014

बादशाहो का खेल शतरंज

शतरंज का खेल कम बोलने वाले और दिमगी लोगो को ज्यादा ही पसंद आता है, यह दिमाग का खेल है। इसमे ना दौड़ना होता है और ना ही भागना, बस दिमाग का भरपूर प्रयोग करना होता होता है। इस खेल में आपको हर प्रकार के मोहरे मिलेगे जो घोड़े की तरह ढ़ाई घर चलेंगे, वजीर की तरह आल राउण्ड चलेंगे, और ऊंट की तरह टेढ़े चलेंगे, वह प्यदे की तरह सीधे चलकर तिरछे पर आपको मात देगे।

कैसे हुआ इसका का आरंभ
शतरंज के खेल को विनियमित करने वाले नियम होते है। यद्यपि शतरंज की ठीक-ठाक उत्पति तो निश्चित नहीं है। यह माना जाता है कि भारत में इसकी शुरुआत महाराजा इंद्रजीत सिंह ने की थी। शतरंज बादशाहो का पसंदीदा खेल था अकबर भी इस खेल के बहोत ही शौकीन थे। आज भी लोग इस खेल को बड़ी ही रोचकता से खेलते हैं। यह ज्ञात है कि इसके आधुनिक नियम पहली बार 16वीं शताब्दी के दौरान इटली में विकसित हुए। 19वीं शताब्दी की शुरुआत तक, अपने आधुनिक रूप में आने तक नियम लगातार थोड़े-थोड़े बदलते रहे. शतरंज के नियमों में स्थानों के आधार पर भी अलग-अलग परिवर्तन हुए
आज (एफआईडीई ) जिसे विश्व शतरंज संगठन (वर्ल्ड चेस ऑर्गेनाइजेशन) भी कहा जाता है, कुछ राष्ट्रीय संगठनों द्वारा अपने लिए किए गए हल्के परिवर्तनों के साथ, मानक नियम तय करता है।
कल और आज मे कितना बदला खेल
आज इस आधुनिक युग में तमाम खेलो का बोलबाला है। हर किसो को खेलो में रुची होती होती। लोगों को मस्ती करना व्ययाम करना और खेलो का आनंद उठाना खासा अच्छा लगता हैं। शतरंज के खेल में शुरुआती दौर से ही थोड़े बहोत बदलाव आते रहे हैं। पहले लोगो को यह खेल बहोत ही कम राश आता था, राश ना आने का कारण भी बड़ा ही रोचक था। पहले हमारे देश में गॉवो की सख्या ज्यादा हुआ करती थी, पर सही प्रकार से शिक्षा का उतना विकास नही हुआ था, कारण वश लोग इस खेल को सही तरीके से समझ नही पीते थे, उन्हे इस खेल को खेलने में कोई दिलचस्पी नही होती थी। परतु आज के इस दौड़ में इस खेल ने भी अपनी लोकप्रियता लोगो के बीच अच्छी बना ली है, ज्यादातर युवक इस खेल को खेलना पसंद करते हैं। पुराने समय से अब तक इस खेल में और इसके खेलने वालो में भी बहुत बदलाव आया है।
नियम
शतरंज एक चौपाट (बोर्ड) के ऊपर दो व्यक्तियों के लिये बना खेल है। चौपाट के उपर कुल ६४ खाने या वर्ग होते है, जिसमें ३२ चौरस काले या अन्य रंग ओर ३२ चौरस सफेद या अन्य रंग के होते हैं। खेलने वाले दोनों खिलाड़ी भी सामान्यतः काला और सफेद कहलाते हैं। प्रत्येक खिलाड़ी के पास एक राजा, वजीर, दो ऊँट, दो घोडे, दो हाथी और आठ सैनिक होते हैं। बीच में राजा व वजीर रहता है। बाजू में ऊँट, उसके बाजू में घोड़े ओर अंतिम कतार में दो दो हाथी रहते है। उनकी अगली रेखा में आठ पैदे या सैनिक रहते हैं।
चौपाट रखते समय यह ध्यान दिया जाता है कि दोनो खिलाड़ियों के दायें तरफ का खाना सफेद होना चाहिये तथा वजीर के स्थान पर काला वजीर काले चौरस में व सफेद वजीर सफेद चौरस में होना चाहिये। खेल की शुरुआत हमेशा सफेद खिलाड़ी से की जाती है।
चाल – ऊंट हमेसा तिरक्षा चलता है, तो वही घोड़ा ढाई कदम चलता हैं, वजीर आलराउंडर की तरह होता है, राजा एक कदम चलता है और सिपाही ज्यादा से ज्यादा दो कदम वह कम से कम एक कदम चलता है।
जब राजा सामने मरने की स्थित में होता है तो उस समय राजा को चेक होता है अर्थात राजा को खतरा है, तब विपंक्षी टीम अपने राजा की शुरंक्षा के लिए उसे वहा से हटा सकती है। अगर राजा के बचाने का कोई तरीका नही होता अर्थात जब राजा चारो तरफ से घिर जाता है और उसके बचने कोई रास्ता नही होता तब उस समय को चकमेट कहते हैं, मतलब की अब आप अपने राजा को किसी भी तरह से नही बचा सकते, जब चकमेट होता है तो राजा के बचने का कोई उपाय नही होता है। उस समय राजा का अंत निश्चित होता है, और जब राजा मरा जाता हैं तब विपक्षीं टीम की जाती मानी जाती है। 
मौलिक चाल
शतरंज के प्रत्येक मोहरे का चलने का अलग-अलग तरीका होता है।  विरोधी के मोहरे को काटने की स्थिति को छोड़कर चालें हमेशा किसी न किसी रिक्त वर्ग में ही चली जाती हैं।
कैसलिंग- के अंतर्गत बादशाह को किश्ती की ओर दो वर्ग बढ़ाकर और किश्ती को बादशाह के दूसरी ओर उसके ठीक बगल में रखकर किया जाता है। कैसलिंग केवल तभी किया जा सकता है जब निम्नलिखित शर्तें पूरी हों:
1.      बादशाह तथा कैसलिंग में शामिल किश्ती की यह पहली चाल होनी चाहिए
2.      बादशाह तथा किश्ती के बीच कोई मोहरा नहीं होना चाहिए
ड्रॉ – खेल ड्रॉ की स्थिति में खत्म हो जाएगा यदि इनमें से कोई परिस्थिति उत्पन्न होती है। खेल स्वत: ड्रॉ हो जाएगा यदि जिस खिलाड़ी को चाल चलनी है उस पर न तो शह हो और न ही उसके पास चलने को कोई वैध चाल हो. ऐसी स्थिति को जिच (स्टैलमेट) कहते हैं
वैध चालों का कोई भी संभव सिलसिला शाह और मात की स्थिति नहीं पैदा कर सकता,  आम तौर पर ऐसा अपर्याप्त सामग्री के कारण होता है
उदाहरण के लिए यदि एक खिलाड़ी के पास एक बादशाह और एक फील अथवा घोड़ा हो और दूसरे खिलाड़ी के पास एक बादशाह हो
जीत - जब कोई खिलाड़ी ऐसी चाल चलता है जिससे विरोधी के बादशाह के कट जाने का खतरा उत्पन्न हो (जरूरी नहीं कि चले जाने वाले मोहरे द्वारा ही), तो बादशाह को शह पड़ा हुआ माना जाता है। यदि किसी खिलाड़ी के बादशाह पर शह हो और ऐसी कोई वैध चाल न हो जिससे कि वह खिलाड़ी अपने बादशाह को शह से बचा सके तो बादशाह शहमती की स्थिति में माना जाता है, खेल खत्म हो जाता है।
भारतीय वह विश्व के खिलाड़ी
भारत के पहले प्रमुख खिलाड़ी मीर सुल्तान खान ने इस खेल के अंतराष्ट्रीय स्वरूप को वयस्क होने के बाद ही सीखा, 1928 में 9 में से 8.5 अंक बनाकर उन्होने अखिल भारतीय प्रतियोगिता जीती। मैनुएल एरोन ने 1961 में एशियाई स्पारद्धा जीती, जिससे उन्हें अंतर्र्श्तृय मास्टर का दर्जा मिला और वे भारत के प्रथम आधिकारिक शतरंज खिताबधारी व इस खेल के पहले अर्जुन पुरस्कार विजेता बने। 1979 में बी रविकुमार तेराहन में एशियाई जूनियर स्पारद्धा जीतकर भारत के दूसरे अंतर्र्श्तृय मास्टर बने। एंग्लैंड में 1982 की लायड्स बैंक शतरंज स्पर्धा में प्रवेश करने वाले 17 वर्षीय दिब्येदु बरुआ ने विश्व के द्वितीय क्रम के खिलाड़ी विक्टर कोर्च्नोई पर सनसनीखेज जीत हासिल की यह बहोत ही होनहार खिलाड़ियो मे एक हैं।
शतरंज खेल को ज्यादा बढंवा देने के लिए इन्होने शतरंज का शिक्षण संसथान खोल दिया जो की कलक्ता में है। विश्वनाथन आनंद विश्व के सर्वोच्च खिलाड़ियों में से एक के रूप में उदय होने के बाद भारत ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी उपलब्धियां हासिल की।
पुरस्कार वह पुरस्कृत खिलाड़ी
विश्वनाथन आनंद को 1999 में फीडे अनुक्रम में विश्व विजेता गैरी कीस्पारोव के बाद दूसरा क्रम दिया गया था। विश्वनाथन आनंद पांच बार (2000, 2007, 2008, 2010 और 2012 में) विश्व चैंपियन रहे है। 1987 में विश्व जूनियर स्पर्धा जीतकर वह शतरंज के पहले भारतीय विश्व विजेता बने। इस ग्रैंडमास्टर को 1998 और 1999 में प्रतिष्ठित ऑस्कर पुरस्कार  के लिए भी नामांकित किया गया था। आनंद को 1985 में प्राप्त अर्जुन पुरस्कार के अलावा, 1988 में पद्म श्री 1996 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार मिला । सुब्बरमान विजयलक्ष्मी  व कृष्णन शशिकिरण को भी फीडे अनुक्रम में स्थान मिला है ।
शतरंज मे कैरियर - इस खेल में कैरियर बनाना बेहत उपयोगी साबित हो सकता है। आज जिस तरह से अन्य खेलो की लोकप्रियता दिनो–दिन बढ़ती चली जा रही है, कही ना कही लोगो के लिए अत्यत उपयोगी साबित हो सकती है। आप शतरंज में अपना कैरियर अवश्य बना सकते हैं, पर उसके लिए आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी, क्योकी यह बहोत ही सावधानी पूर्वक खेला जाने वाला खेल है। इस़मे अपने प्रतिद्धन्दी  को मात देना बड़ी बात होती है। अगर आप इसमें अपना कैरियर बनाना चाहते हैं, तो मेहनत करना शुरु कर दे और आप जितना अच्छा इस खेल को खेलने में निपुण हो जाएगे उतनी जल्दी आप आसमा को छू सकेगे । इसमे आपको राष्ट्रिय अंतराष्ट्रिय लेबल तक खेलने का मौका मिलता है। आज हर जगह खेलो का विशेष महत्व हैं, सरकार भी खिलाड़ियो को विभिन्न तरह की सेवाये उपलब्ध करती है। अगर आप देश के लिए खेलते हैं तो सरकार आपको सम्मानित करती है। खेलो का विशेष कोटा होता है , जिसमे खिलाड़ियो के लिए विशेष छूट प्रदान कराई जाती है।

ज़नाब फिर देर किस बात की सच्ची लगन, अच्छा आत्मविश्वास, वह कड़ी मेहनत से सबकुछ प्राप्त किया जा सकता है। 

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