धर्मांतरण आखिर क्यों....?
आशीष शुक्ला....
हमारा समाज सभी जाति धर्मो से र्निमित है, भारत के प्रत्येक व्यक्ति
को संबिधान जाति, धर्म, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर समानता का अधिकार प्रदान
करता है। यदि कोई व्यक्ति अपने धर्म को छोड कर दूसरे धर्म को अपनाना चाहे तो
संबिधान इसके लिए भी उसे यह अधिकार प्रदान करता है, वह स्वतंत्र रूप से किसी भी
धर्म को अपना सकता है। धर्मांतरण किसी ऐसे नये धर्म को अपनाने का
कार्य है, जो धर्मांतरित हो
रहे व्यक्ति के पिछले धर्म से भिन्न हो। एक ही धर्म के किसी एक संप्रदाय से दूसरे
में होने वाले परिवर्तन को सामान्यतः धर्मांतरण  के बजाय पुनर्संबद्धता  कहा जाता है। 
अनेक कारणों से लोग
विभिन्न धर्मों में धर्मांतरित होते हैं, जिनमें
विश्वास में हुए परिवर्तन के कारण स्वेच्छा से होने वाला सक्रिय धर्मांतरण, द्वितीयक धर्मांतरण, मृत्यु-शैय्या पर होने वाला
धर्मांतरण, किसी लाभ के लिये किया जाने वाला तथा वैवाहिक
धर्मांतरण एवं बलपूर्वक किया जाने वाला धर्मांतरण शामिल हैं। धर्मातरण विवाद में जानी-मानी लेखिका तसलीमा नसरीन कहा है कि
अगर गरीब मुस्लिम पैसे और भोजन के लिए हिंदू धर्म ग्रहण करना चाहते हैं तो उन्हें
ऐसा करने दिया जाए। गरीब हिंदू भी इसी कारण इस्लाम और ईसाइयत को अपनाते हैं। इनका
मानना है कि मजहब बिकता है। अपने बेबाक लेखन के कारण कट्टरपंथियों के निशाने पर
रहने वालीं तसलीमा ने ट्वीट के जरिये यह भी कहा है कि इस्लाम में जबरन धर्मातरण की
मनाही है। बाद में ऐसा होने लगा। जबरन धर्मातरण न होता तो आज इस्लाम अस्तित्व में
नहीं होता। हिंदुओं के धर्मातरण के लिए मुस्लिम और ईसाइयों को दोषी ठहराती रही हैं
और यही कारण है कि जब हिंदू भी ऐसा करते हैं तो उन्हें बुरा लगता है। उनके मुताबिक
उपासना पद्धति के चयन की स्वतंत्रता होनी चाहिए। तसलीमा ने अपने पूर्वजों को मूर्तिपूजक
बताते हुए कहा है कि वे हिंदू से मुसलमान बने। कई साल आगरा में गुजारने के बाद भी
मुसाफिरों जैसी जिंदगी बिता रहे लगभग 60 मुस्लिम परिवारों के 387 सदस्यों हिंदू धर्म कुबूल
कर लिया। यह स्पस्ट नहीं है कि उन्होनें स्वः इच्छा से धर्मांतरण किया है, या
उन्हे लालच देकर इसके लिए बाध्य किया गया है।  जिसके बाद मुस्लिम समाज के सैंकडों लोग धरने पर
बैठ गए। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और बजरंग दल पर शहर
की फिजां बिगाडने का आरोप लगाया और आरोपियों को गिरफ़तार कर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून
(रासुका) लगाने की मांग की। धर्मांतरण को लेकर मचे बवाल को देखते हुए उत्तर प्रदेश
सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। अवैध धर्मातरण के लिए सभी जिलों में एसपी-एसएसपी की
जवाबदेही तय करते हुए प्रमुख सचिव गृह देवाशीष पंडा ने अलर्ट जारी किया। महत्त्व अस्तित्व के तथ्य का नहीं है, बल्कि
अस्तित्व के स्तर का है। इस्लामी संस्कृति के प्रसार के लिए मुसलमानों ने एक
नियमित और तेज अभियान चलाया कहा जाता है, कि धर्म-परिवर्तन के अपने आंदोलन द्वारा
उन्होंने हिंदू धर्म के लोगों को अपनी ओर करके अपनी संख्या में भारी वृद्धि कर ली। भारतीय संस्कृति की यही तो विशेषता रही है यही संस्कृति 'बहुजन हिताय और बहुजन सुखाय और वसुधैव कुटुंबकम् की
पावन भावना का विकास करती है। हमारे भीतर स्व और पर का भेद नहीं होना चाहिए। 'स्व की संकुचित सीमा से निकलकर 'पर के लिए अपने आपको
बलिदान कर देना ही सच्ची मानवता है। यही सबसे बड़ा गुण है और यही मनुष्य का सबसे
बड़ा धर्म है। देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संवैधानिक मान्यता दी गई है,
किन्तु प्रायः यह देखने में आता है कि इसकी आड़ में अराजक तत्व गैर जरूरी वातावरण
उत्पन्न कर देते हैं, इससे राष्ट्र की छवि धूमिल होती है। सामाजिक बंधन मजबूत बंधन है और वह
आत्म-चेतना के विकास के साथ ही गहरा जुड़ा हुआ है। प्रत्येक व्यक्ति की अपने और
अपने हित की चिंता में दूसरों की तथा उनके हितों की मान्यता शामिल है और एक प्रकार
के प्रयोजन के लिए उसका प्रयास,
चाहे उदार हो या स्वार्थपूर्ण, उस हद तक दूसरे
का भी प्रयास है। सभी अवस्थाओं में व्यक्ति के जीवन, हितों
और प्रयोजनों के लिए सामाजिक संबंध का मूल महत्त्व है। यदि
धर्म-परिवर्तन करने वाले के लिए कोई स्थान नहीं होगा, तो न तो
धर्म-परिवर्तन के लिए कोई न्योता दिया जा सकता है और न ही उसे स्वीकार किया जा
सकता है। 
(यह लेखक के अपने विचार हैं, लेखक लेबर निगरानी ब्यूरो में उप-संपादक  है)
 

 
 
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