आज तक हिन्दी समाचार चैनल के
 वरिष्ट पत्रकार सुप्रतीम बैनर्जी जी से की गयी यादगार भेटवार्ता के कुछ
अंश--
प्रश्न : आपने
अपनी शिक्षा कहां से पूर्ण की वह अनुभव कैसा था?
उत्तर : मैने अपने शिक्षा की शुरुआत एडीएम सुशायटी स्कूल से की, हाई
स्कूल की पाढ़ाई यही से पूरी की और उसके बाद रॉंची से मैने अपना इंटर पास किया फिर
रांची विश्वविद्दलय से मैने कामर्स और आर्थशास्त्र के साथ वी ए की उपाधि पाप्त की
मैने पत्रकारिता से जुड़ी कोई विशेष पढ़ाई नही की है।
प्रश्न : अपके
जीवन मे पत्रकारिता की शुरुआत कैसे हुई और आप एंकर कैसे बने?
उत्तर : मेरे पत्रकारिता की शुरुआत स्कूल के दौर से ही शुरु हो गयी
थी जब मै हाई स्कूल मे था, तभी मैं कुछ ऐसे पत्रकारो के बीच आ गया था जो विभिन्न
अखबारो मे काम करते थे तब उनको देखकर मन मे एक ललक सी जाग उठी और मेरा मन भी करने
लगा की मुझे भी पत्रकार बनना चाहिए। मैने सोचा की अगर मै पत्रकार बनूगा तो हर तरह
के समाज से मिलने का मुझे आवसर प्राप्त होगा यही सब सोचकर मै पत्रकारिता के तरफ
बढ़ता गया।  मैं कुछ लेख लिखता था पत्रकारो
से अच्छी बनती थी तो वह मेरे लेख को अखबारो मे छपवा दिया करते थे, इससे मुझे हौसला
मिलता रहा। मैने अपने जीवन मे पत्रकार के तौर पर अपने जीवन की शुरुआत प्रभात खबर
नामक अखबार से की पन्द्रह सालो तक मैंने अलग–अलग अखबारो मे काम किया फिर 2005 मे
आज तक से जुड़ा, पहले रिर्पोटिग करता था फिर बाद मे एंकरिग करना भी शुरु कर दिया।
प्रश्न : जीवन
में आपके प्रेरणा स्रोत कौन हैं और इस कामयाबी का राज क्या है।?
उत्तर : मैने हर किसी से सीखा और समझा अपने से प्रमुख पत्रकारो से
काफी कुछ सीखता रहा जब वह किसी खबरो को लिखते तो उसको समझता और फिर खुद लिखने की
कोशिश करता जिनसे मैने कुछ भी सीखा वही मेरे प्रेरणा स्रोत रहे।  
प्रश्न : आप
रिपोर्टिग और एंकरिग मे से किसे बेहतर मानते हैं और क्यो?
उत्तर : दोनो का अपना– महत्व है, यह करेने वाले व्यक्ति पर निर्भर
करता है कि वह कौन से माध्यम को करना चाहता है। 
अगर आप रिर्पोटर होते है तो सारी घटनाओ को आप देखते है, और उनसे वाकिब रहते
हैं। जब आप रिर्पोटिंग करते हैं तो आपको मालुम चलता है की खबरे कितनी मुसकिल से
मिलती है। परंतु जब आप एंकरिग कर रहे होते हैं तो दुनिया आपको देखती है इस लिहाज
से आपको अपनी भाषा पर विशेष ध्यान देना पढता है। एंकरिग मे खबरो की परस्तुति आप
कैसे करते हैं यह अत्यत महत्वपर्ण होता है।
प्रशन : अपराध
रिपोर्टिग के दौरान किन- किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
उत्तर : आप अगर किसी राजनीतिक प्रेंस कॉफ्रेस में जाते है लोग आपका
स्वागत करते। परंतु जब आप अपराध रिर्पोटिंग करने के लिए कही जाते है तो वहा पहले
से ही मातम छाया होता है, वहा ना तो आपका स्वागत करता है और ना ही किसी तरह की
इज्जत, बल्कि लोग आपको देखकर काफी गुस्से मे हो जाते हैं। कि हमारे यहा मताम छाया
हुआ है और यह हमारा तमासा बनाने के लिए आया है। उस समय आपको तमाम दिक्कतो का सामना
करना पडता है, लोग गलिया भी दे सकते और जाने के लिए भी कह सकते हैं। तब आप लोगो को
कैसे समझाते हो  यह आप रप निर्भर करता है
अपराध रिर्पोटिग करते हुए वेहद धैर्य रखना होता है।
प्रश्न : अपने
पत्रकारिता जीवन की ऐसी किसी यादगार घटना या अनुभव के बारे मे बताएं जिसे बहोत
सराहा गया हो या जिसे आप अपने जीवन में मील का पत्थर मानते हो ?
उत्तरः जब मै अमर उजाला मे था
तब कि यह घटना है। पहले तशकर लोग 
असलील फिल्मो के सीडीयो की तस्करी दिल्ली और लुधियान के बीच करते थे, उसमे वह
रेल के ड्राइवर से सेटिंग करके उन सीडियो की तसकरी करते थे।  जिसके कारण पुलिस उन्हे पकड़ने मे नाकाम हो
जाती, वॉस ने मुझे इस पर खबर लाने के लिए कहा, मैं लुधियाना गया और काफी मसक्कत के
बाद उन तसकरो तक पहुचां फिर मैने उनका पीछा करना शुरु किया ड्राइबर को सीडी देते
हुए हमने कुछ फोटो उतारी और फिर अखबार मे छापा गया इस स्टोरी को लोगो ने बहोत
सराहा था। 
प्रश्न : अपराध
समाचारो की दुनिया मे दिन-रात व्यस्त रहने वाले एंकर और रिपोर्टर क्या अपने परिवार
के लिए समय निकाल पाते हैं?
उत्तरः मुशकिल होता है, पर घर
परिवार को भी समय देन होता है। अपराध रिर्पोटिग मे कई  
दिनो तक लगाकर व्यस्त रहना भी पड़ जाता है।
परंतु मै घर परिववार का बराबर ध्यान रखता हूं और कोशिस करता हूं की समय दे पाऊ।  
प्रश्न : माना
जाता है कि देश के अन्य राज्यो के मुकाबले एनसीआर मे होने वाले अपराध के समाचारो
की अधिक प्राथमिकता मिलती है ऐसा क्यो?
उत्तर : दिल्ली से जुडी घटनाओ को लोग देखना पसंद करते हैं, तामाम
राज्यो में बैठा व्यक्ति दिल्ली की खबरो को देखना पसंद करता है। इस लिए चैनलो पर
दिल्ली से जुड़ी  खबरे ज्यादा दिखाई जाती
है। यहा की खबरो को दिखाने से टीआरपी ज्यादा मिलती है। दिखाने का यह भी एक कारण है।  
प्रश्न : लोग
कहते हैं कि टीवी पर अपराध दिखाने से जागरुकता कम फैलती है और अपराध अधिक बढ़ता है
इसपर आपका क्या कहना है?
उत्तरः ऐसा नही है कि खबरे
दिखाने मात्र से अपराध बढता है। लोगो का अपना– अपना नजरिया है, हम कई तरह से लोगो
को अपराध से जुडी घटनाओ को दिखाकर सजग– सतर्क करते है। लोग हमारे द्वारा दिखाये
गये खबरो से काफी कुछ नसीहत लेते हैं। 
प्रश्न : हमारे
देश मे वक्त– बेवक्त अपराध होते हैं इसपर लम्बे समय तक रिपोर्टिग और एंकरिग करना
मुशकिल काम है आप कैसे कर लेते हैं ?
उत्तर :  हमारे
साथ हमारी पूरी टीम होती है और हर कोई अपना– अपना काम करता है हमे अपराध रिर्पोटिंग
करते समय ब्रेक भी मिलता है, ऐसा जरुर होता कभी– कभी खबर पर ज्याद समय तक काम करना
पडता है। पर आप पत्रकारिता मे घड़ी देखकर काम नही कर सकते। और बात अपने पैशन की भी
होती है। 
प्रश्न : आज के
अधिकांश विद्धी टीवी रिपोर्टिर या एंकर बनना चाहते हैं इसके लिए उन्हे क्या तैयारी
करनी चाहिए?
उत्तर : जिस
काम को करने के लिए सोच लिया है, उस काम के पीछे जी जान लगाकर पड जावो किसी भी तरह
की गुंजाइस मत छोड़ो। एक बात और मै कहना चाहुगां कि जो काम मिले उसे जो काम मिले
उसे जिम्मेदारी पूर्वक करो। 
प्रश्न : अपराध
पत्रकारिता के क्षेत्र मे अपना करियर बनाने की इच्छा रखने वाले विद्दथीयो को आप
क्या सलाह देना चाहेंगे?
उत्तर : अखबार नियमित पढे, टीवी पर खबरो को देखे, अपने आपको हमेसा
खबरो से अपड़ेट रखे, अपने आपसे ज्यादा से ज्यादा सीखने की कोशिस करे। 
 
 
 
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