Mar 15, 2015

देश-विदेश के कवि सम्मेलनों मे सिरकत करने वाले 1966 से अब तक हिन्दी साहित्य मे सक्रिय रहने वाले देश के माने जाने कवि श्री सूर्यकुमार पाण्डेय जी की /युवा पत्रकार आशीष शुक्ला से भेटवार्ता के कुछ संपादित अंश....
आपने अपनी शिक्षा-दिक्षा कहा से प्राप्त की .....?

मैं उत्तर प्रदेश के बलिया जिले का निवासी हूं, मेरी आरंभिक शिक्षा की शुरूआत यहीं से हुई। मैने अपनी पूरी शिक्षा छात्रवृत्ती के जरिए पूरी की। आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई यहीं से हुई। इसके बाद मैं लखनऊ आ गया । मैने अपने हाई स्कूल की शिक्षा यूपी बोर्ड से प्राप्त की। और एमएसी तक की शिक्षा लखनऊ विश्वविद्यालय से पूरी की। इसके बाद मैं शोधन कार्यों पर लग गया।
आपके स्कूली और कॉलेज के दिन कैसे बीते….?
मैं  स्कूलों-कॉलेजों में, हमेसा एक वीआईपी छात्र रहा। क्योंकि मेरे पिता जी सब डिप्टी इंसपेक्टर थे। जिसके चलते मुझे अध्यापको से कभी मार नहीं पड़ी, बल्कि उनका प्यार और स्नेह, वह मार्गदर्शन मिला, मै कक्षा चार तक तो पढ़ा ही नहीं घर ही शिक्षा का स्रोत बना।  लोगों के लिखे विचारों और कविताओं को पढ़ने का मेरा शौक था। मैने अक्षर ज्ञान बाद में प्राप्त किया पहले लिखना सीख गया। मेरे स्कूली दिन बहुत अच्छे गये।
आपने हिंदी साहित्य में आने का विचार कब बनाया, क्या आप कवि बनना चाहते थे यह इसमें आना महज एक इत्तिफाक था.....?
कुछ चीजे ईश्वर की देन होती हैं, मैने जो समझ आया वह लिखता गया, विचारों को व्यक्त करने का एक तरीका है कविता, इसके जरिए मै विचारों को व्यक्त करता हूं।  कुछ विचार कविताओं मे नहीं लिखे जा सकते, उसे मैने गद्य में लिखा है। व्यंग के हजारों लेख मेरे पत्र पत्रिकाओं मे छपे हैं। मेरे द्वारा लिखी गयी कविताएं अखबारों पत्रिकाओं में छपती थी तो इससे मेरा काफी मनोबल बढ़ता था। विचारों को व्यक्त करने के लिए मै कवि बना, स्तंभ गद्य-पद्य लेखन मुझे बहुत पसंद है।
आपके प्रेरणा स्रोत कौन हैं.....?
कोई व्यक्ति विशेष नहीं है। मैने हर एक से सीखा है लोगों को देख कर पढ़कर मुझे प्रेरणा मिली। मै महादेवी वर्मा जी के पास जाता था, हरिवंश राय बच्चन साहेब के पास जाता था, और अन्य कवियों से मिलता था और उनसे सीखता था । इन लोगों ने मुझे काफी प्रेरित किया इनसे मैनें बहुत कुछ सीखा और समझा। यह सब मेरे प्रेरणा स्रोत रहे।
अपने जीवन संघर्ष के बारे में बताइये.....?
मेरा जीवन बहुत सरल रेखा मे चला है, मैने जीवन मे कभी संघर्ष नहीं किया ईश्वर ने मुझे कभी दर्द-पाड़ा नहीं दी इसके लिए मै ईश्वर का जितना धन्यवाद करूं कम है। मैने कभी आर्थिक संघर्ष नहीं किया , मै मानता हूं कि संघर्ष ही जिंदगी है, आज हर किसी को अपने भविष्य की चिंता है। वह उसके लिए संघर्ष करता है और इस तरह से मैने भी किया ।
आप इतने अच्छे कवि है जो किसी का भी मन मोह लेते हैं, अपकी लोकप्रियता का राज क्या है.....?
समय की पहचान, कवि अपने समय को गाता है। मैने वह लिखा है जो जन्ता सोचती है, मैने युवाओं के लिए लिखा है, बूढ़ो-बुजुर्गों के लिए लिखा है। मै युवाओं की सोच को लिखता हूं समाज में घट रही घटनाओं को शब्दों मे फिरो कर लोगों के सामने प्रस्तुत करता हूं। मैने समय के साथ-साथ अपने लेख को लिखा है। यही कारण है कि लोगों ने मुझे बहुत सारा प्यार दिया है। एक अच्छा कवि वही है जो समय की नब्ज को पकड़ना जानता है।
आपकी पहली कविता कौन सी थी.....?
मैने अपनी पहली कविता 1966 में लिखी जो की अब उपलब्ध नहीं है। यह कविता देश पर थी।
आपकी सबसे लोकप्रिय कविता कौन सी रहीं जिसेजिसे लोगों ने खूब सरहा .....?
होली के अवसर पर  दूरदर्शन के माध्यम से मेरी एक हस्य की कविता आई जिसने मुझे पहचान दी, वह थी प्रेमिका और डाक टिकट इसके बल पर मुझे देश-विदेश से कवि सम्मेलन मे सिरकत करने का निमंत्रण मिलने लगा। 1980 के बाद मै पूर्णतः कवि सम्मेलनों मे आ गया। 1966 से लेकर अब तक मै साहित्य मे लगातार सक्रिय हूं।
अपने जीवन से जुड़ी किसी यादगार घटना के बारे में बताइयें.....?
जब मै नये लोगों से मिला और उन्होने कहा कि मै तुम्हें जानता हूं, तुम्हे मैने पढ़ा है। शरद जोशी जी बहुत बड़े व्यंगकार थे, उनसे मै पहली बार राउल किला में एक कवि सम्मेलन के दौरान मिला। उन्हेने मेरी कविता मुझे सुनाई उस दिन मुझे काफी खुशी मिली। मुझे इससे काफी आश्र्चर्य हुआ। यह पल मेरे लिए काफी यादगार रहा ।
आपने अपनी पूरी जिंदगी कविताओं के लेखन और राष्ट्र का नाम ऊंचा करने में बिता दी इसके लिए आपको काका हाथरसी पुरस्कार , अट्टहास सम्मान , सूर सम्मान , विदूषक सम्मान ,रविंद्रनाथ त्यागी सम्मान, समेत आपको कई अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। क्या इस त्याग के लिए आपको जितना सम्मान मिलना चाहिए था मिला.....?
 मैंने कभी भी पुरस्कार - सम्मान पाने की इच्छा से नहीं लिखा, बहुत लोगों को इसकी जरूरत है। पुरस्कार मिलना एक गौरव की बात है, परन्तु आज पुरस्कार लेखक के हाथ में हथकड़ी की तरह है। एक लेखक जब लिखता है, तो वह जन्ता के हित के लिए लिखता उसके लेख समाज के सॉचे-ढ़ॉचे की तरह होते हैं। जब कोई कवि यह लेखक अपने शब्दों के व्यंग के जरिय तीर चलाने लगता है, तब उसे सम्मान इस लिए दिया जाता है, क्योंकि वह अपना मुंह बन्द कर सके। राज्य मे व्यंग लेखक को मेरे हिसाब से पुरस्कार नहीं दिया जाना चाहिए खासा उस पाट्री से जिसके खिलाफ वह लिख रहा है। आज हमारे समाज की बहुत बडी बिडंबना है, कि आज लेखकों, और कवियों को पुरस्कार देकर चुप कराया जा रहा है। बहुत कवि आज भी हैं, जो इस मोह-माया में नहीं फसे हैं, और बहुत है जो फस गये हैं।
आपने किन-किन अखबारों के लिए लेख लिखा है....?
मैने काफी अखबारों के लिए लेख लिखा है। तकरीबन कोई ऐसा समाचार पत्र-पत्रिका नहीं होगी जिसके लिए मैने ना लिखा हो। दैनिक भाष्कर, के लिए मै नियमित लिखता रहां हू, राष्ट्रीय सहारा के लिए 1996 से 2014 तक लगातार मैने साप्ताहिक कॉलम लिखे हैं। अमर उजाला, दैनिक जागरण, स्वतंत्र भारत, नई दुनिया राष्ट्रिय समाचार फीचर नेटवर्क था जिसके लिए मैने प्रतिदिन मैने व्यंग की एक कविता लिखी चुटकी नाम से, जो की देश के लगभग 200 अखबारों मे प्रकाशित होती थी, ऐसे तमाम अखबारों के लिए मैने लेखन किया।

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