जम्मू-कश्मीर पीडीपी
गठबंधन विशेष
यह रिश्ता क्या
कहलाता है.....?
आशीष शुक्ला
सत्ता की चाह वोट बैंक की राजनीति, बड़े-बडे
वायदे जन्ता भी अब समझ चुकी है। 2014 मे संपन्न हुए लोकसभा चुनाव मे वाजेपी ने जन्ता
से तमाम वायदे किए थे,अब कुछ हद तक पूरा करते नज़र आ रहे हैं। जल्द संपन्न हुए
जम्मू-कश्मीर के चुनाव मे वीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं प्राप्त हुआ। परिणामतः
पीडीपी से गठबंधन करके वहां सरकार बनाई। आपको याद दिला दे जिन तमाम शर्तों पर
वीजेपी ने वहां सरकार बनाई है, उसमे धारा
370 को ना छेड़ने का आश्वासन भी शामिल है। अब वीजेपी धारा 370 कैसे हटाएगी? यह देखना खासा रोचक होगा। धारा
370 भारतीय संघ के भीतर जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिलाता है। भारत
सरकार केवल रक्षा, विदेश नीति, वित्त और संचार जैसे मामलों में यहां
दखल दे सकती है। इसके अलावा संघ और समवर्ती सूची के तहत आने वालों विषयों पर
केंद्र सरकार कानून नहीं बना सकती। भाजपा का इसे हटाने का रुख 50 के दशक की शुरुआत
से रहा है। तब भाजपा 'भारतीय जन संघ' के
नाम से जानी जाती थी। 'भारतीय जन संघ' के
संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने धारा 370 के खिलाफ लड़ाई लड़ने का बीड़ा उठाया
था, परन्तु वह नाकाम रहे। अब वीजेपी सत्ता की चाह मे पीडीपी से मिलकर जम्मू-कश्मीर
मे गठबंधन की सरकार बना ली है। खैर यहां तक तो समझा जा सकता है, परन्तु अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई पर छिड़ा सियासी घमासान रुकने का नाम
नहीं ले रहा है। भारत
प्रशासित जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद
के अलगाववादी नेता मसरत आलम को रिहा करने के फ़ैसले ने सरकार में साझीदार भारतीय
जनता पार्टी को घेर लिया है। मुफ्ती मोहम्मद सईद द्वारा मसरत की रिहाई से हलाकि
बीजेपी नाराज है। और वह मसरत की गिरफ्तारी की मांग कर रही है। अपना रूख साफ करते
हुए वीजेपी ने पीडीपी के इस फैसले से बिलकुल असहमती जताई है, बयान के मुताबिक
राज्य सरकार ने बिना विचार-विमश किये उसकी रिहाई की है। वही विपक्षी भी इसपर खूब
राजनीति सेक रहे हैं, और वीजेपी पर लगातार वार रहे हैं। संसद मे लगातार इसपर बवाल
मचा हुआ है, हलाकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इसपर अपनी सफाई पेश कर चुके
हैं। तमाम तथ्य लगातार सामने आ रहे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेस के नेता और पूर्व
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी मसरत आलम की रिहाई का कड़ा विरोध किया है। 44
साल का मसरत हुर्रियत के अलगाववादी धड़े का नेता है। 2008 से 2010 के बीच उसने भारत के खिलाफ मुहिम चलाने में
अगुवाई की थी। 2010 में भूमिगत होकर पथराव आंदोलन चला रहा
था। पत्थरबाजी में 120 मौतें हुई थीं, अक्टूबर 2010 में उसे श्रीनगर के हरवान से गिरफ्तार किया गया था। अब उसे रिहा कर दिया
गया है, आपको याद दिलाते चले जब यह सब घटनाये घटित हुई थी, उस समय कांग्रेस की
सरकार थी। हैरत की बात तो यह है कि तब से लेकर अब तक मसरत पर कोई चार्ट-सीट फाइल
नहीं की गयी है। उसके रिहाई के पीछे यह भी एक कारण है। आज देश की सरकार भले ही
अपने आपको सशक्त होने का दावा करती हो, परन्तु इतने खतरनाक आतंकवादी जिस पर धराएं 120,
121, 120बी और 307 लगाई गई हो उसपर चार्ट सीट
दाखिल ना करना वाकई शर्म की बात है।

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